उत्तराखंड चम्पावतPawandeep Rajan childhood video

उत्तराखंड: जब 2 साल के पवनदीप को मिली थी पहली कामयाबी, पूत के पांव पालने में दिख गए थे

जब पवनदीप महज 2 साल के थे। 1998 में चंपावत में एक समारोह हुआ था। आगे पढ़िए

pawandeep rajan: Pawandeep Rajan childhood video
Image: Pawandeep Rajan childhood video (Source: Social Media)

चम्पावत: पवनदीप राजन ने इंडियन आइडल का खिताब अपने नाम कर इतिहास तो रच दिया है लेकिन इस सफलता के पीछे उनकी मेहनत और लगन का भी अहम योगदान है। वाद्य यंत्रों पर पकड़ और आवाज की मधुरता उन्हें परिपक्व गायक बनाती है। पवनदीप का ये सफर सिर्फ 1 या 2 साल पुराना नहीं है। बचपन यानी बाल्यावस्था से ही संगीत के प्रति उनकी रुचि उन्हें आज इस मुकाम पर ले आई। पवन का जन्म 1996 में चंपावत के वल्चौड़ा गांव में हुआ था। पिता सुरेश राजन और ताऊ सतीश राजन ने बचपन से ही पवन को संगीत की तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया। उनके दादा स्व. रति राजन भी लोकगायक रच चुके हैं। संगीत के जरिए लोगों का दिल जीतना और सम्मान पाने का सिलसिला तब से ही शुरू हो गया था, जब पवनदीप महज 2 साल के थे। 1998 में चंपावत में एक समारोह हुआ था। इस समारोह में पवन ने यंगेस्ट तबला प्लेयर का खिताब जीता था। बस फिर क्या था...पवन को हौसला मिला, हौसलों ने उड़ान भरी और खिताब मिलते रहे। अब तक कई मुल्कों और देशभर के कई राज्यों में पवनदीप करीब 1200 शो कर चुके हैंं। साल 2015 का वो पल भी आपको याद होगा, जब पवनदीप ने वॉयस ऑफ इंडिया का खिताब जीता था। पवनदीप को इंडियन आइडल की ट्रॉफी के साथ एक चमचमाती कार और 25 लाख रुपये इनाम के तौर पर मिले हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी पवनदीप को शुभकामनाएं दी हैं।
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