उत्तराखंड नैनीतालLsd virus found in uttarakhand

उत्तराखंड में कोरोना के बाद एक और वायरस की एंट्री, जानिए क्या है LSD वायरस

कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच उत्तराखंड में एक और बीमारी ने समस्या खड़ी कर दी है. 'लम्पी स्किन डिजीज' नामक संक्रमण तेजी से जानवरों में फैल रहा है

Uttarakhand lsd virus: Lsd virus found in uttarakhand
Image: Lsd virus found in uttarakhand (Source: Social Media)

नैनीताल: देश में एक के बाद एक कई तरह की बीमारी फ़ैल रही है. पहले देश में कोरोना का आतंक था. इसके बाद बर्ड फ्लू से लोगों में फैली दहशत कम भी नहीं हुई थी, कि कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच उत्तराखंड में एक और बीमारी ने समस्या खड़ी कर दी है. इस बार ये वायरस इंसान को नहीं बल्कि गाय, बैल, भैंस सहित अन्य पशुओं को अपनी चपेट में ले रहा है. 'लम्पी स्किन डिजीज' नामक संक्रमण तेजी से जानवरों में फैल रहा है. उत्तराखंड के काशीपुर ब्लॉक के एक फार्म में 13 गाय-भैंसों में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) के लक्षण पाए जाने पर उनके सैंपल जांच के लिए बरेली आवीआरआई भेजे गए थे. मंगलवार को आई रिपोर्ट में चार गायों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जिसके बाद से ही पशुपालन विभाग में हड़कंप मच गया है, और उन्होंने जिले के पशुपालकों को अलर्ट कर दिया गया है.

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आपको बता दें की भारत में इस बीमारी का पहला मामला 2019 में आया था. रिसर्चर्स के मुताबिक, इस वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है. सिर्फ लक्षण के हिसाब से जानवरों को इलाज के रूप में एंटीबायोटिक इंजेक्शन व अन्य दवाएं दी जा रही है. पशुपालन विभाग के अनुसार लंपी स्किन डिजीज बीमारी से पशुओं के शरीर का कोई भी हिस्सा अचानक सूज जाता है. साथ ही पशुओं को हल्का बुखार एवं सर्दी भी रहती है. वही पशुओं के शरीर पर गोल-गोल छल्ले नुमा घाव भी दिखाई दे रहे है, जो पशुओं के लिए कष्टदायक रहता है साथ ही इस बीमारी से दुधारू पशु एवं गर्भवती गाय को ज्यादा खतरा है. और इसके चलते पशु चारा खाना भी छोड़ देते हैं आपको बता दें की लम्पी स्किन डिजीज एक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित पशु के संपर्क में आने से स्वस्थ्य पशुओं में फैलता है. साथ ही लम्पी डिजीज की चपेट में सबसे ज्यादा दुधारू जानवर आते हैं. जिस वजह से जानवरों की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है