उत्तराखंड देहरादूनScientists report on earthquake in Uttarakhand

उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में भूकंप पर खुलासा, वैज्ञानिकों ने दिया बड़े खतरे का संकेत

मध्य-पूर्वी हिमालय बेल्ट पर भूकंपीय पैटर्न पर वैज्ञानिकों (earthquake in Uttarakhand) ने किया बड़ा खुलासा, हिमालयी राज्यों के लिए वार्निंग

Uttarakhand Earthquake Report: Scientists report on earthquake in Uttarakhand
Image: Scientists report on earthquake in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने हिमालयी राज्यों में भूकंप (earthquake in Uttarakhand) के लिहाज से एक गंभीर खुलासा किया है। देहरादून में स्थित वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मध्य हिमालय व पूर्वोत्तर हिमालय के भूकंपीय पैटर्न में फर्क का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने असम-अरुणाचल क्षेत्र में पूर्वोत्तर हिमालय के मिश्मी रेंज का गहन अध्ययन कर यह मालूम किया कि वहां आ रहे भूकंप यूरेशियन व भारतीय प्लेटों के समन्वय से उत्पन्न सूचर जोन के पीछे से आ रहे हैं। दरअसल वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून में स्थित भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, का एक शोध संस्थान है। पहले इसे 'हिमालय भूविज्ञान संस्थान' नाम से जाना जाता है। इसमें हिमालयी क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया जाता है।

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हाल ही में यहां के वैज्ञानिकों ने भारत के उत्तर-पूर्वी सिरे में अरुणाचल प्रदेश के कमलांग नगर में स्थित मिशमी पर्वतमाला हिस्से में अब तक दर्ज सबसे बड़े भूकंपीय प्रभावों का अध्ययन किया, जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि पूर्वी भारत में पश्चिमी और मध्य हिमालय के विपरीत व्यापक रूप से विस्तरित भूंकपीय पैटर्न है। यह पहली बार है कि वैज्ञानिकों ने भूकंप के भूगर्भिक अध्ययन को मुख्य हिमालयी फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) से आगे बढ़कर मिश्मी के पर्वतों में किया है। मिश्मी पर्वतमाला में भूकंप को ट्रैक करने के लिए ट्रैंच एक्सपोजर से सात रेडियोकार्बन नमूनों की आयु गणना की गई। इससे यह निष्कर्ष निकला की इस साइट पर 1950 के अलावा भी बड़ी तीव्रता के भूकंप आए हैं। वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की शोध टीम का नेतृत्व डॉ. आरजे पेरूमल ने किया है।डॉ. पेरुमल के मुताबिक 1950 का भूकंप हिमालयी क्षेत्र में दर्ज अब तक का सबसे बड़ा भूकंप है।

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वैज्ञानिकों के मुताबिक मध्य हिमालय और पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में बड़े झटके पड़ सकते हैं। इसमें उत्तराखंड के पर्वतीय राज्य भी शामिल हैं। मध्य हिमालय क्षेत्र या पर्वत श्रेणी शिवालिक श्रेणियों के उत्तर तथा वृहत्त हिमालय के दक्षिण चम्पावत (पूर्वी छोर), नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली, पौढ़ी गढ़वाल, रूद्र प्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी तथा देहरादून (पश्चिमी छोर) आदि 9 जिलों में विस्तृत है। मध्य हिमालय क्षेत्र की श्रेणियां राज्य में विभिन्न डांडो के रूप में में विभाजित हैं। इनके बीच में कहीं पठार तो कही नदी घाटियां हैं। देववन, गागटिब्बा, रीवा, मसूरी, झंडीधार, चाइना, मूसा का कोठा, लोखण्डीटिब्बा, सुरकण्डा, चन्द्रवदनी, मन्द्राचल, हटकुणी, लालटिब्बा, दुधातोली, धनपुर, अमोली, विनसर, दीपा, द्रोणागिरि, उतांइ, रानीखेत मध्य हिमालय की प्रमुख श्रेणियां हैं। मध्य हिमालय के मुकाबले पूर्वी हिमालय में इस अलग पैटर्न की वजह से ज्यादा बड़े भूकंप आ सकते हैं। ये ज्यादा क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इस भूकंप पैटर्न (earthquake in Uttarakhand) की वजह वैज्ञानिक पूर्वी हिमालय के नए विकसित क्षेत्र मानते हैं। इस शोध में ईश्वर सिंह, अर्जुन पांडेय, राजीव लोचन मिश्रा, प्रियंका सिंह और अतुल ब्राइस ने सहयोग दिया।