देहरादून: सीपीयू यानि सिटी पेट्रोलिंग यूनिट (Uttarakhand CPU RTI) पुलिस विभाग की वही यूनिट जो पिछले 7 वर्षों से सड़कों पर चालान और जुर्माना वसूलने का काम कर रही है। स्ट्रीट क्राइम व चेन स्नेचिंग पर अंकुश लगाना, ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखना और नियम तोड़ने वाली गाड़ियों का चालान करना सीपीयू के प्रमुख काम हैं। इसी सीपीयू को लेकर एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश नेगी ने दावा किया है कि उन्होंने सूचना के अधिकार से जो जानकारी पुलिस मुख्यालय से मांगी थी, उसमें यह बताया गया है कि सीपीयू (CPU) गठन को लेकर अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है। इसका मतलब ये है कि पिछले सात साल से सीपीयू अवैध रूप से जुर्माना वसूलने का काम कर रही है। वकील विकेश सिंह कहते हैं कि जब सीपीयू को लेकर कोई शासनादेश जारी ही नहीं हुआ तो सीपीयू जुर्माना कैसे वसूल सकती है। उन्होंने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का भी दावा किया है।
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विकेश ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के जरिए पुलिस महानिदेशक कार्यालय से सीपीयू के गठन को लेकर सवाल पूछे थे। जवाब में बताया गया कि इसका गठन डीजीपी के कार्यालय द्वारा किया गया है। बता दें कि अप्रैल 2014 में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू द्वारा पुलिस विभाग में सिटी पेट्रोल यूनिट सीपीयू का गठन किया गया था। इस पुलिस की ड्रेस काले रंग की है। इनके पास अत्याधुनिक बाइक और हाथ में कैमरा नजर आता है। फिलहाल इन्हें दून, हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की, ऊधमसिंहनगर और ऋषिकेश जैसी जगहों में तैनात किया गया है। सीपीयू के गठन का उद्देश्य स्ट्रीट क्राइम रोकना था, लेकिन सीपीयू इसमें ज्यादा कामयाब नहीं रही। सीपीयूकर्मियों (Uttarakhand CPU RTI) पर जब तब बदसलूकी के आरोप भी लगते रहे हैं। 24 मई 2019 को रुद्रपुर में सीपीयू पर एक ड्राइवर संग मारपीट का आरोप लगा था। 27 जुलाई 2020 में रुद्रपुर के रम्पुरा क्षेत्र में सीपीयूकर्मी पर चेकिंग के दौरान युवक के माथे पर उसी की बाइक की चाबी घोंपने का आरोप लगा था। घटना के बाद खूब हंगामा भी हुआ था।