उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालRemembering Chandra Singh Garhwali on His Birthday

जन्मदिन विशेष: महानायक थे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, निहत्थों पर गोली चलाने से कर दिया था इनकार

अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के जुर्म में गढ़वाली और उनके 61 साथियों को कठोर कारावास की सजा दी गई। उनकी जमीन और मकान भी कुर्क कर लिया गया।

veer chandra singh garhwali: Remembering Chandra Singh Garhwali on His Birthday
Image: Remembering Chandra Singh Garhwali on His Birthday (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: पेशावर विद्रोह के महानायक स्वतंत्रता सेनानी चंद्र सिंह गढ़वाली का आज जन्मदिवस है। चंद्र सिंह गढ़वाली ने वर्ष 1930 में पेशावर में निहत्थे देशभक्त पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर साम्राज्यवादी अंग्रेजों की नींव हिलाकर रख दी थी। इसी दिन उन्होंने अंग्रेजों को संदेश दे दिया था कि वे अब अधिक दिनों तक भारत पर अपना शासन नहीं कर सकेंगे। इस बहादुर देशभक्त की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी तारीफ किया करते थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि गढ़वाली जैसे चार आदमी और होते तो देश कब का आजाद हो चुका होता। ये उत्तराखंड के लिए बेहद गौरव का विषय है कि इतिहास में पेशावर विद्रोह के नाम से जानी जाने वाली इस घटना के महानायक चन्द्र सिंह गढ़वाली इसी देवभूमि में जन्मे थे। आगे पढ़िए...

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23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में पेशावर गई 2/18 रॉयल गढ़वाल राइफल्स को अंग्रेज अफसरों ने वहां खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में भारत की आजादी के लिए लड़ रहे निहत्थे पठानों पर गोली चलाने का हुक्म दिया, लेकिन चंद्र सिंह ने इसे मानने से इनकार करते हुए कहा, हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की हुंकार से सभी राइफलें नीचे हो गयीं। अंग्रेज कमांडर बौखला उठा। उस कमांडर ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक पहाड़ी गर्जना के आगे उसका आदेश हवा हो जाएगा। गढ़वाल की बटालियन ने विद्रोह कर दिया। इसके बाद गढ़वाल राइफल के सैनिकों से हथियार छीन लिए गए। अंग्रेज सैनिकों ने खुद ही आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाई। बगावत के जुर्म में गढ़वाली और उनके 61 साथियों को कठोर कारावास की सजा दी गई। साथ ही अंग्रेजी हुकूमत ने गढ़वाली के पैतृक गांव दूधातोली में उनकी जमीन और मकान भी कुर्क कर लिया। आगे पढ़िए..

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चंद्र सिंह भंडारी को गढ़वाली उपाधि दी थी। तब से उन्हें गढ़वाली कहा जाने लगा। चंद्र सिंह गढ़वाली प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लैंसडाउन में गढ़वाल राइफल्स में भ​र्ती हुए। 1915 में उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया। पौड़ी जिले के रौणसेरागांव (पट्टी चौथान) में 25 दिसंबर, 1891 में जाथली सिंह भंडारी के घर जन्मे वीर चंद्रसिंह गढ़वाली आजादी के बाद कोटद्वार के ध्रुवपुर में रहने लगे थे। एक अक्टूबर 1979 को भारत के इस महान सपूत का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर आज प्रदेश सरकार द्वारा कई लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।