चमोली: उत्तराखंड...पहाड़ों की गोद में बसा यह छोटा सा राज्य पर्यटकों के बीच खूब प्रचलित है. उत्तराखंड के प्रसिद्ध बुग्यालों में शुमार बेदनी बुग्याल को आस्था का केंद्र माना जाता है. समुद्रतल से 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक एवं पौराणिक बुग्याल का अस्तित्व खतरे में है. Uttarakhand के Bedni Bugyal को wild boars ने भारी नुकसान पहुंचा दिया है। बेदनी बुग्याल को तो सुअरों ने बुरी तरह तहस-नहस कर दिया है। संभवत: ऐसा पहली बार देखने में आ रहा है, जब जंगली सुअर बुग्याल की खोदाई कर दुर्लभ जड़ी-बूटियों को नष्ट कर रहे हैं. इस मामले में डिप्टी रेंजर पूर्वी पिडर रेंज देवाल त्रिलोक सिंह बिष्ट ने बताया कि बेदनी बुग्याल में जंगली सुअर का पहुंचना किसी आश्चर्य से कम नहीं है. ऐसा पहली बार हुआ है की जंगली सुअर बुग्याल की खोदाई कर जड़ी-बूटियों को नष्ट कर रहे हैं. जिससे औषधीय पादपों के नष्ट होने के साथ वहां की घास और मिट्टी को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है. वहीँ इसकी जानकारी बदरीनाथ वन प्रभाग के अधिकारियों को दे दी गई है. साथ ही पर्यावरण प्रेमी बलवंत सिंह ने श्रीनंदा देवी राजजात के इस अहम पड़ाव को बचाने के लिए वन विभाग को तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है.
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दूसरी तरफ इस मामले में महामंत्री भुवन नौटियाल ने बताया की वन विभाग की ओर से बेदनी-बगजी बुग्याल के संरक्षण में जुटी पर्यावरण संरक्षण समिति को सहयोग नहीं मिल रहा है. जिस वजह से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. अभी भी यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो तेजी से बदलते पर्यावरण का प्रभाव बुग्याल में देखने को मिलेगा. आपको बता दें की बेदनी बुग्याल के 15 मीटर व्यास में फैले बेदनी कुंड को लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है. ये नंदा देवी और त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के मध्य वाण गांव से 13 किमी की दूरी पर स्थित है. इस कुंड में नंदा देवी राजजात यात्रा हो या लोकजात यात्रा लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं. कहा जाता है कि जो श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करता है, वह पाप से मुक्त हो जाता है. इसी कुंड में स्नान करने के बाद मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया जाता है. Uttarakhand के Bedni Bugyal को wild boars ने भारी नुकसान पहुंचा दिया है। सरकार को इन बुग्यालों के संरक्षण के लिए आगे आना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले कुछ सालों में इन बुग्यालों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.
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