उत्तराखंड बागेश्वरGallantry medal to Lalit Sah SSB officer of Bageshwar

पहाड़ के जांबाज अफसर ललित को गैलंट्री मेडल, 10 लाख के ईनामी नक्सली को मार गिराया था

दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में गृह मंत्री एसएसबी अधिकारी ललित साह को गैलंट्री मेडल देकर सम्मानित करेंगे। उन्हें यह सम्मान मिलने से बागेश्वर ही नहीं, पूरा उत्तराखंड गौरवान्वित हुआ है।

Uttarakhand SSB Officer Lalit Sah: Gallantry medal to Lalit Sah SSB officer of Bageshwar
Image: Gallantry medal to Lalit Sah SSB officer of Bageshwar (Source: Social Media)

बागेश्वर: उत्तराखंड के जांबाज लाल देश के प्रति अपना फर्ज बहादुरी और ईमानदारी से निभा रहे हैं। एसएसबी के द्वितीय कमान अधिकारी ललित साह ऐसे ही जांबाज बेटों में से एक हैं। झारखंड के नक्सल प्रभावित दुमका इलाके में बेहद कठिन और महत्वपूर्ण ऑपरेशन में दस लाख रुपये के इनामी नक्सलवादी को ढेर करने वाले ललित साह को राष्ट्रपति के पुलिस वीरता पदक से नवाजा जाएगा। इसकी घोषणा बीते 26 जनवरी को दिल्ली में हुई है। एसएसबी अधिकारी ललित साह बागेश्वर के माल रोड क्षेत्र में रहते हैं। वर्तमान में वह अपने घर पर हैं। साल 2019 में उन्होंने अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ इनामी नक्सलवादी को मार गिराया, बल्कि भारी मात्रा में गोला-बारूद भी जब्त किया था। आइए आपको ललित के बारे में बताते हैं। ललित साह की शिक्षा पिथौरागढ़ में हुई है। साल 2008 में उन्हें सशस्त्र सीमा बल में सहायक कमांडेंट के पद पर नियुक्ति मिली।

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तब उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर का सर्वोच्च सम्मान हासिल किया था। वो अब तक भारत-नेपाल सीमा, सीआईजेडब्ल्यू स्कूल ग्वालदम और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवाएं दे चुके हैं। ललित साह दो बेटियों तिष्णा और तोशी के पिता हैं। उनके पिता स्व. बीडी साह शिक्षक थे। ललित वर्तमान में एसएसबी बल मुख्यालय आरके पुरम दिल्ली में तैनात हैं। ललित ने साल 2019 में झारखंड के दुमका के नक्सल प्रभावित इलाके में एक बेहद महत्वपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इस ऑपरेशन ने दुमका झारखंड के नक्सलवादियों की कमर तोड़कर रख दी थी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें राष्ट्रपति के पुलिस वीरता पदक यानी गैलंट्री मेडल से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है। दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में गृह मंत्री एसएसबी अधिकारी ललित साह को गैलंट्री मेडल देकर सम्मानित करेंगे। उन्हें यह सम्मान मिलने से बागेश्वर ही नहीं पूरा उत्तराखंड गौरवान्वित हुआ है।