उत्तराखंड देहरादूनLata Mangeshkar song on uttarakhand

पहाड़ के हुस्न पर लता मंगेशकर ने लगाए थे चार चांद, सुपरहिट हुआ था ये खूबसूरत गीत

लता जी के गीतों में इतनी मधुरता से पहाड़ों का जिक्र होता था कि प्रकृति में भी 4 चांद लग जाते थे, उनके सिंगिंग करियर का पहला हिट गाना भी " पहाड़ों " पर फिल्माया गया था।

Lata Mangeshkar : Lata Mangeshkar song on uttarakhand
Image: Lata Mangeshkar song on uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: 6 फरवरी... यह दिन एक बुरे सपने जैसा था, किसने सोचा था कि मेलोडी क्वीन लता मंगेश्कर की मृत्यु की खबर से दिन की शुरुआत होगी। गायिका लता मंगेशकर का रविवार सुबह मुंबई में निधन हो गया। लता मंगेशकर को ‘भारत की स्वर कोकिला’ के रूप में जाना जाता था। 8 जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनको इलाज के लिए एडमिट किया गया। मगर लता ताई जिंदगी और मौत की जंग हार गईं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। मगर उनके गाने हमेशा सदाबहार रहेंगे। लता जी की रूहानी आवाज में पहाड़ों का जिक्र भी बिल्कुल जीवंत सा लगता है। उनके मुंह से सुर निकलते ही जैसे प्रकृति और अधिक सुंदर हो जाती है, जैसे पेड़ और अधिक विशाल हो जाते हैं नदियों में अचानक ही पानी बढ़ जाता है और पेड़ हवाओं के संग झूमने लगते हैं। उनके गीतों में पहाड़ों का और प्रकृति का जिक्र इतनी खूबसूरती से होता है कि व्यक्ति का प्रफुल्लित हो जाता है। जी हां, चाहे वह पहाड़ हों, नदी हो, बांह फैलाते हुए देवदार हों, घाटियां हों, उनके गीत, उनकी आवाज इन सभी में चार चांद लगा देती थीं। क्या आपको याद है फिल्म राम तेरी गंगा मैली का वह गीत जिसमें वह गाती हैं ... हुस्न पहाड़ों का, ओ साहिबा/ हुस्न पहाड़ों का/ क्या कहना की बारों महीने/ यहां मौसम जाड़े का/ क्या कहना की बारों महीने/ यहां मौसम जाड़े का।

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क्या आप जानते हैं कि जिस गीत ने लता मंगेशकर को अलग पहचान दी, उनके टैलेंट को पहचाना, उनके सिंगिंग करियर को बूस्ट किया वह गीत पहाड़ के ऊपर ही फिल्माया गया है। जिस गीत ने लता जी को पहचान दी वह पूरी तरह पहाड़ की पृष्ठभूमि में फिल्माया गया था। हम बात कर रहे हैं फिल्म बरसात का लता जी का पहला सुपरहिट सदाबहार गीत " हवा में उड़ता जाए मोरा लाल दुपट्टा मलमल का "। इसी गीत से उनको नई पहचान मिली और उनके करियर ने नई उड़ान भरी। लता जी ने पहाड़ पर फिल्माए गए और भी कई गाने गाए हैं। लता जी की आवाज में प्रेम पर्बत का गीत "ये दिल और उनकी निगाहों के साये....पहाड़ों को चंचल किरन चूमती है....हवा हर नदी का बदन चूमती है। " शहद में घुला सा लगता है। मधुमती का गीत " आजा रे परदेसी....मैं तो कबसे खड़ी इस पार कि अंखियां थक गईं पंथ निहार" भी पहाड़ पर फिल्माया गया है। नूरी में कश्मीर और कुदरत में हिमाचल की खूबसूरत वादियों को दिखाता था। लता जी ने इन गीतों को बखूबी गाया। इन गीतों में उनकी मीठी आवाज अब भी कानों में गूंजती रहती है। श्रोताओं पर जैसे कोई जादू सा छा जाता। क्या आप जानते हैं कि गढ़वाली फिल्म रैबार में भी एक गीत गाकर लता जी ने पहाड़ को आशीष दिया था। पहाड़ों के अलावा उन्होंने गंगा की महत्ता को भी अपनी आवाज से अमर कर दिया था। लता मंगेशकर ने गंगा पर लिखे गीतों को गाकर भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी। लता जी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं मगर उनके गीत हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

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