उत्तराखंड देहरादूनStory of Pulwama Martyr Mohanlal Raturi

उत्तराखंड: आज के ही दिन पुलवामा में शहीद हुए थे मोहनलाल रतूड़ी..फौज में जाना चाहता है बेटा

कहने को तीन साल हो गए, लेकिन शहीद मोहनलाल के परिवार के लिए जिंदगी मानो ठहर सी गई है।

Pulwama Martyr Mohanlal Raturi: Story of Pulwama Martyr Mohanlal Raturi
Image: Story of Pulwama Martyr Mohanlal Raturi (Source: Social Media)

देहरादून: 14 फरवरी 2019...ये काली तारीख देश कभी नहीं भूलेगा। इसी दिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के जवानों के काफिले से एक गाड़ी टकराई, जिसके बाद भयंकर धमाका हुआ और सड़क पर हर तरफ लाशें और शरीर के टुकड़े नजर आने लगे। दिल दहला देने वाला ये मंजर आज भी भुलाए नहीं भूलता। इस हमले में उत्तराखंड ने भी अपने दो जवानों को खोया था। जिनमें देहरादून के मोहन लाल रतूड़ी भी थे। कहने को तीन साल हो गए, लेकिन शहीद मोहन लाल के परिवार के लिए जिंदगी मानों ठहर सी गई है। फिर भी परिवार के लोग किसी तरह हिम्मत कर के आगे बढ़ रहे हैं। मोहनलाल के बेटे श्रीराम का जज्बा तो काबिले तारीफ है। वह पिता की तरह ही सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। आगे पढ़िए

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शहीद मोहनलाल 1988 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। परिवार में उनकी पत्नी सरिता तीन बेटियां और दो बेटे हैं। जब उनकी शहादत की खबर मिली तो पूरा परिवार टूट गया था। परिवार की पूरी जिम्मेदारी पत्नी सरिता देवी पर आ गई। शुरू में हौसला टूटने लगा था, लेकिन अब वह मजबूती के साथ परिवार को आगे बढ़ा रही हैं। शहीद मोहनलाल की एक बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरी और तीसरी बेटी की पढ़ाई चल रही है। बड़े बेटे शंकर को सरकारी नौकरी मिली है। मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को गम तो है कि उनका संरक्षक उनके साथ नहीं है, लेकिन उन्हें फख्र भी है कि उन्होंने देश के लिए शहादत दी। यही वजह है कि आज शहीद मोहनलाल का परिवार मजबूत हौसलों के साथ आगे बढ़ रहा है।