उत्तराखंड उधमसिंह नगरStory of Pulwama Martyr Virendra Singh

पुलवामा अटैक: उत्तराखंड ने खोया था अपना वीर सपूत, छुट्टी से ड्यूटी पर लौटा और शहीद हो गया

पुलवामा अटैक: 20 दिन की छुट्टी बिता कर डयूटी पर लौटे थे शहीद जवान वीरेंद्र सिंह, परिवार के जख्म आज भी उतने ही गहरे हैं

Uttarakhand Pulwama Martyr Virendra Singh: Story of Pulwama Martyr Virendra Singh
Image: Story of Pulwama Martyr Virendra Singh (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: 14 फरवरी... वह दिन जो कोई नहीं भूल सकता। पुलवामा अटैक और आंतकियों के द्वारा की गई हरकत को दो साल गुजर गए हैं लेकिन जख्म आज भी ताजे हैं। आज भी देशवासियों के दिलों की आग ठंडी नहीं हुई है और न ही उन जवानों के परिवार के आंखें से आंसू रुके हैं जिन्होंने अपनें जिगर के टुकड़ों के इस हमले में हमेशा हमेशा के लिए खो दिया था। इन्हीं में से एक परिवार उधम सिंह नगर के शहीद जवान विरेंद्र सिंह का भी है जो कि अब भी उनकी मौत के दुख से उभर नहीं पा रहे हैं। शहीद वीरेंद्र सिंह उन जवानों में से एक थे जो कि पुलवामा अटैक में शहीद हो गए थे। शहीद वीरेंद्र सिंह उधम सिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर बुढ़िया गांव के रहने वाले थे। 14 फरवरी को वे भी सेना के जवानों के काफिले में मौजूद थे जब उनकी बस के ऊपर हमला हो गया और वे वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी मौत की खबर सुनते ही उनके परिवार और उनके परिजनों के बीच में कोहराम मच गया। आज 2 साल होने को आए हैं मगर परिवार के जख्म भी उतने ही गहरे और ताजे हैं। उनकी पत्नी और उनके बच्चों के आंसू अब भी उनकी याद में बहते हैं.

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शहीद वीरेंद्र सिंह मूल रूप से उधम सिंह नगर के रहने वाले थे। उनके दो बच्चे हैं। उनकी शहादत के वक्त उनकी बड़ी बेटी 5 साल की थी जो कि छोटा बेटा ढाई साल का था। समय के साथ बच्चे बड़े हो रहे हैं मगर पिता की कमी उनको हमेशा ही महसूस होती है। 14 फरवरी ही वह काला दिन था जब साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों ने खूनी खेल खेला था और हिंदुस्तानी फौज के जांबाजों के काफिला पर हमला कर दिया था। दोपहर के करीब साढ़े तीन बजे थे और जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर 2500 जवानों को लेकर जा रही 78 बसों के काफिले पर हमला हुआ। जैशे मोहम्मद के एक आतंकी ने विस्फोटकों से लदे वाहन को जवानों को ले जारी बस में जा मारा। जिसके बाद इतना भयानक धमाका हुआ कि बस के परखच्चे उड़ गए। जिसके नतीजन 40 बहादुर जवान शहीद हो गए और कई ज़ख्मी हुए थे। इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इस हमले को लेकर हर हिंदुस्तानी के दिल में बदले की आग दहक रही है और यह आग हमेशा हिंदुस्तानियों के दिल में जलती रहेगी।