देहरादून: हमारी सफलता बड़ी है या छोटी, ये इस बात से तय होता है कि हम निराशा और असफलता को किस तरह संभालते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की उस जांबाज बेटी Major Priya Semwal के बारे में बताएंगे, जिसने पर्वत जैसी चुनौतियों को पार कर समंदर की लहरों तक का सफर तय किया है। इनका नाम है मेजर प्रिया सेमवाल, जो कि चेन्नई से विशाखापट्टनम के बीच थल सेना की महिला अधिकारियों के पहले नौकायान अभियान का हिस्सा बनी हैं। अभियान के तहत समुद्र की उफनती लहरों के बीच 44 सीट की एक नौका पर देश की 10 महिला अधिकारी इस अभियान को अंजाम दे रही हैं। जिनमें देहरादून की मेजर प्रिया सेमवाल भी शामिल है। 900 नॉटिकल मील के अभियान का मकसद महिला सशक्तिकरण की भावना को प्रोत्साहित करना है। साथ ही दुनिया को भारतीय सेना में महिला शक्ति का एहसास कराना है। यह तो हुई मेजर प्रिया की सफलता की बात, लेकिन आपको उनके संघर्षों के बारे में भी जरूर जानना चाहिए। मेजर प्रिया धोरण गांव की रहने वाली हैं।
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उनके पति नायक अमित शर्मा 20 जून 2012 को अरुणाचल प्रदेश में सेना के ऑपरेशन आर्किड में शहीद हो गए थे। पति की मौत के बाद भी प्रिया ने हौसला नहीं खोया। उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए सेना में जाने का फैसला लिया। 15 मार्च 2014 को प्रिया ऑफिसर ट्रेनिंग अकेडमी ओटीए चेन्नई से बतौर लेफ्टिनेंट पास आउट हुईं। मेजर प्रिया को कई स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। राज्य सरकार ने उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा। मेजर प्रिया इससे पहले भी पश्चिम बंगाल के हल्दिया से पोरबंदर, गुजरात के बीच आर्मी सेलिंग एक्सपीडिशन का हिस्सा रह चुकी हैं। तब 50 सदस्यीय दल ने 45 दिन में समुद्र पर 3500 नॉटिकल मील का सफर तय किया था। अब उत्तराखंड की इस जांबाज बेटी को थल सेना की महिला अधिकारियों के पहले नौकायान अभियान का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। अभियान में केवल महिला अधिकारी शामिल हैं। Major Priya Semwal का मानना है कि यह अभियान लड़कियों को सेना में शामिल होने और देश सेवा के लिए प्रेरित करेगा।