उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालLeopard family walking in Pauri Garhwal

पौड़ी गढ़वाल के लोग सावधान, परिवार के साथ घूम रहा है गुलदार..वन विभाग ने किया अलर्ट

गुलदार अभी विशेषज्ञों की टीम की नजरों से बाहर है। पढ़िए Leopard family in Pauri

Leopard: Leopard family walking in Pauri Garhwal
Image: Leopard family walking in Pauri Garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: जिला चिकित्सालय पौड़ी की आवासीय कॉलोनी में अपने दो शावकों के साथ घूमने वाली मादा गुलदार अभी विशेषज्ञों की टीम की नजरों से बाहर है।

Leopard family in Pauri Garhwal

गुलदार ट्रेंकुलाइज करने के लिए हरिद्वार डिवीजन व राजाजी नेशनल पार्क से टीम पौड़ी आई है। विशेषज्ञों की टीम की ओर से दिन और रात को गश्त करने के बाद भी गुलदार कहीं नजर नहीं आ रहा है। रेंजर पौड़ी अनिल कुमार भट्ट की ओर से बताया गया है कि पौड़ी शहर वासियों को गुलदार की दहशत से निजात दिलाने के लिए पिंजरा लगाया गया। टीम की ओर से गश्त करने के साथ ही ट्रेप कैमरे लगाये गए लेकिन जब गुलदार की लोकेशन ट्रेक नहीं हो पाई। गुलदार को ट्रेंकुलाइज करने के लिये विशेषज्ञों की टीम को बुलवाया गया। शहर के गुलदार प्रभावित क्षेत्रों टीम द्वारा सुबह शाम गस्त करने के बाद भी अबी तक गुलदार दिखाई नही दिया है। जिससे विभाग के लिये परेशानियां ओर बढ़ने लगी है। रेंजर ने शहरवासियों से आग्रह किया है वह सतर्कता पूर्वक रहें। सावधानियां बरतने से ही गुलदार की दहशत से निजात मिल सकती है.

ये भी पढ़ें:

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में गुलदार की दहशत बनी हुई है। कभी जंगलों तक सीमित रहने वाले गुलदार अब आबादी वाले क्षेत्रों में घूमते नजर आते हैं। गुलदार, बाघ और हाथियों के हमलों में अब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पौड़ी से लेकर पिथौरागढ़ तक हर जिले में लोग वन्यजीवों के डर के साए में जीने को मजबूर हैं। बात करें पौड़ी जिले की तो यहां पिछले दिनों जिला अस्पताल की आवासीय कॉलोनी में गुलदार का परिवार घूम रहा है। यहां मादा गुलदार को अपने दो शावकों के साथ घूमते देखा गया। क्षेत्र में मादा गुलदार और उसके शावकों की बढ़ती धमक के बाद हरिद्वार डिवीजन व राजाजी नेशनल पार्क से एक विशेष टीम बुलाई गई। इस टीम को मादा गुलदार और शावकों को ट्रैंकुलाइज करने की जिम्मेदारी दी गई। बीते रविवार की रात को टीम ने गश्त अभियान चलाया, लेकिन विशेषज्ञों की टीम को गुलदार कहीं भी नजर नहीं आया। जिससे गुलदार व उसके शावक ट्रैंकुलाइज नहीं हो पाए। गुलदार को ट्रैंकुलाइज करने के लिए वन विभाग ने 4 टीमें बनाकर गश्त की थी।