उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालWhen Chandrashekhar Azad came to Dugadda in Pauri Garhwal

जब पौड़ी गढ़वाल आए थे चंद्रशेखर आजाद: दिखाई अचूक निशानेबाजी, 1 पत्ते पर दागी थी 6 गोलियां

Pauri Garhwal के Dugadda से रहा है Chandrashekhar Azad का गहरा नाता, 1930 में लिया था यहां प्रशिक्षण..पढ़िए पूरी खबर

Chandrashekhar Azad Pauri Garhwal Dugadda: When Chandrashekhar Azad came to Dugadda in Pauri Garhwal
Image: When Chandrashekhar Azad came to Dugadda in Pauri Garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश के कई क्रांतिकारी वीर-सपूतों ने हंसते-हंसते अपनी जान की आहुति देकर हम को स्वतंत्रता दिलाई। उनकी याद आज भी हमारी रुह में जोश की एक लहर पैदा कर देती है। वह एक ऐसा समय था जब लोगों ने अपना सब कुछ छोड़कर देश को आजाद कराने के लिए बलिदान दिया। देशप्रेम, वीरता और साहस की एक ऐसी ही मिसाल थे शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद।महज 25 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए जान कुर्बान कर डाली। क्या आप जानते हैं कि आजादी के नायक क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का पौड़ी जिले की दुगड्डा नगरी से भी बेहद गहरा नाता था।

When Chandrashekhar Azad came to Dugadda

बता दें कि क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने पौड़ी जिले की दुगड्डा नगरी में अपने साथियों के सामने अपनी अचूक निशानेबाजी का प्रमाण दिया था और आज यह स्थान शहीद स्मारक के नाम से प्रख्यात है। बता दें कि लैंसडाउन वन प्रभाग में इसी वर्ष इस पार्क का सौंदर्यीकरण भी किया है। दरअसल आजादी के आंदोलन के दौरान दुगड्डा नगरी के निवासी भवानी सिंह रावत के आग्रह पर 1930 में चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों रामचंद्र, हजारीलाल के साथ में दुगड्डा आए थे और यहां पर उन्होंने शस्त्र प्रशिक्षण दिया था। आगे पढ़िए

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साझासैंण के समीप वन क्षेत्र में शस्त्र प्रशिक्षण के दौरान आजाद ने अपने साथियों के आग्रह पर एक वृक्ष के छोटे से पत्ते पर निशाना साधा। उन्होंने अपनी पिस्टल से एक छोटे से पत्ते पर छह फायर किए मगर पत्ता हिला तक नहीं। उनके साथियों ने समझा कि निशाना चूक गया है मगर जब वे पेड़ के पास पहुंचे तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि छह की छह गोलियां छोटे से पत्ते को भेदते हुए बिना उसको हिलाए सीधा पेड़ के तने में धंस गई थी। जिस वृक्ष पर आजाद की अचूक निशानेबाजी के प्रमाण मौजूद हैं वह धराशाई हो चुका है और विभाग की ओर से वृक्ष को संरक्षित करने का प्रयास करते हुए उसके हिस्से का ट्रीटमेंट कर उसे पार्क में स्थापित किया गया है। लैंसडाउन वन विभाग ने चंद्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़ी अहम घटनाओं को चित्रों के माध्यम से पार्क की दीवारों पर भी उकेरा है।