उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालDraupadi Madhwal principal of Government Primary School Bantholi

गढ़वाल में एक प्रिंसिपल ऐसी भी है..खुद घर पर करती है ठाठ, ठेके पर रखी है टीचर

एक प्रिंसिपल ऐसी भी, 70 हजार वेतन घर बैठे उड़ा रही है, 10 हजार के ठेके पर रख रखी है टीचर, अब जाकर हुई सस्पेंड

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Image: Draupadi Madhwal principal of Government Primary School Bantholi (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो रखी है। ऊपर से यहां काम करने वाले शिक्षक भी अपनी बेशर्मी से बाज नहीं आते।

Draupadi Madhwal principal of Primary School pauri garhwal

एक तरफ शिक्षा विभाग भी लापरवाह है तो दूसरी तरफ ऐसे शिक्षकों की वजह से केवल और केवल गरीब छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। इससे ना तो शिक्षा विभाग को कोई फर्क पड़ता है और ना ही शिक्षा विभाग से मोटा वेतन पाने वाले उन तमाम शिक्षकों को जिनको बच्चों के भविष्य की कोई परवाह नहीं है। अब आप पौड़ी जिले में ही देख लीजिए। यहां एक प्रधानाध्यापिका ने तो हद ही करदी। शिक्षा विभाग से वेतन पढ़ाने के लिए मिलता है, बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मिलता है मगर यहां की प्रिंसिपल मैडम तो बस फ्री का वेतन खा रही हैं। वे स्कूल में पढ़ाने नहीं जातीं। अपनी जगह उन्होंने गांव की ही एक युवती को रखा हुआ था। गांव की युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में पढ़ाती थी और पढ़ाने के मेहनताने के रूप में प्रधानाध्यापिका उसे 10 हजार रुपए महीने देती थी। पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लॉक के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपनी जगह एक प्रॉक्सी टीचर यानी अपने खर्चे पर दूसरी युवती को स्कूल में रख लिया। ये युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में पढ़ा रही थी और बदले में युवती को दस हजार वेतन मिलता था। आगे पढ़िए

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आश्चर्य की बात तो यह है शिक्षा विभाग के संज्ञान में यह बात बहुत पहले ही आ गई थी। इस प्रधानाध्यापिका की लंबे समय से शिकायत हो रही थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इससे पहले इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जाकर शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले पर जागे हैं। मुख्य शिक्षाधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापिका को सस्पेंड कर दिया है। दरअसल एकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली में द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से तैनात थी। इस प्रधानाध्यापिका का हर महीने का वेतन 70 हजार के करीब है। द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से अधिकांश समय स्कूल से गायब रही हैं। पिछले करीब पांच महीने से उनकी जगह 10 हजार रुपए महीने के ठेके पर रखी गयी गांव की युवती छात्रों को पढ़ा रही थी। बताया जा रहा है कि स्कूल ज्यादातर दिनों में बंद ही रहता था। वहीं पता चला है कि द्रौपदी मधवाल मैदानी इलाके कोटद्वार की रहने वाली हैं। स्कूल दुर्गम स्थल में है और यह तैनाती उनको रास नहीं आ रही थी ऐसे में वो घर बैठे वेतन उड़ा रही थीं।वहीं मुख्य शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा आनंद भारद्वाज के अनुसार इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका द्रौपदी मधवाल द्वारा कई बार अकारण ही स्कूल बंद रखा जा रहा था। साथ ही कई बार के औचक निरीक्षण में विद्यालय बंद भी पाया गया। मामले की गंभीरता के देखते हुए सीईओ व डीईओ बेसिक ने उसे निलंबित कर दिया गया है।