उत्तराखंड हरिद्वारLife imprisonment for 9 leopards in Uttarakhand Chidiyapur

उत्तराखंड की रोचक खबर: 9 गुलदारों को मिला आजीवन कारावास! मंगलवार को रखते हैं उपवास

जंगल के नियमों का उल्लंघन करने पर 9 गुलदारों को मिला आजीवन कारावास, मंगलवार को रखवाते हैं उपवास, जानें पूरा मामला

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Image: Life imprisonment for 9 leopards in Uttarakhand Chidiyapur (Source: Social Media)

हरिद्वार: उत्तराखंड से एक रोचक खबर सामने आ रही है। हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर बना चिड़ियापुर ट्रांजिट एवं पुर्नवास सेंटर में यहां इंसानी कत्ल या फिर इंसानी बस्ती में घुसने के जुर्म में नौ गुलदारों को जेल में रखा गया है।

Life imprisonment for 9 leopards in Uttarakhand

चौंक गए न आप भी? ये 9 गुलदार सालों से पिंजरे में कैद हैं। कैद भी ऐसी जिसमें रिहाई की उम्मीद न के बराबर है। मतलब कि अब ये अब कभी वापस जंगल में नहीं जा पाएंगे। ये एक तरह से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। इन सजायाफ्ता कैदियों को रूबी, रॉकी, दारा, मुन्ना, जाट, मोना, गब्बर, जोशी नाम से पुकारा जाता है। रूबी नाम की मादा गुलदार पिछले सात सालों से सजा काट रही है। इन्हें दिन के उजाले में कुछ घंटे के लिए खुले बाड़े में छोड़ा जाता है और फिर पिंजरें में कैद कर दिया जाता है। हफ्ते में एक दिन चिकन, एक दिन मटन और एक दिन मोटा मांस खाने को दिया जाता है। लेकिन, मंगलवार को नौ के नौ कैदियों को उपवास रखना होता है। यानि की मंगलवार को इन्हें खाने को कुछ नहीं दिया जाता है।रूबी को 2015 में इंसानी कत्ल के आरोप में तब पकड़ा गया था, जब वो मात्र छह साल की थी। तेरह साल के आदमाखोर रॉकी को 2017 में टिहरी के संतला गांव से पकड़ा गया था। आगे पढ़िए

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दारा, उम्र 12 साल को 2017 में कोटद्वार के लाल पानी से पकड़ा गया था। चार साल का मुन्ना गुलदार मां से बिछड़ने कारण जन्म से ही यहां बंद है। वहीं 6 साल की मोना गुलदार का दोष सिर्फ इतना था कि 2020 में वह ऋषिकेश के डीपीएस स्कूल में घुस गई थी, जिसकी वजह से मोना अब सजा काट रही है। वहीं दस साल के गब्बर को 2020 में हरिद्वार वन प्रभाग से पकड़ा गया था। 2020 में जोशीमठ से पकड़े गए आठ साल के गुलदार को जोशी नाम दिया गया है। उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ समीर सिन्हा कहते हैं कि यह वाइल्ड लाइफ का पुर्नवास सेंटर है। यहां पर अलग-अलग घटनाओं में घायल हुए जानवरों को उपचार के लिए लाया जाता है। जहां, उपचार के बाद उनको फिर उनके नेचुरल हैवीटेट में छोड़ दिया जाता है। हालांकि, गुलदार के मामले में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का कहना है कि यह मैन ईटर हो चुके हैं इसलिए इन गुलदारों को यहां पिंजरे में कैद कर दिया जाता है और फिर उनकी रिहाई नामुमकिन हो जाती है। लंबे समय तक ह्यूमन टच और पिंजरे में रहने के कारण ये गुलदार मानसिक तनाव में कई अधिक खूंखार हो गए हैं। अब इन्हें जंगल में छोड़ा जाना भी संभव नहीं है। मंगलवार के उपवास पर चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन का कहना है कि जानवरों को जंगल में रोज शिकार नहीं मिलता, इसलिए एक दिन उपवास पर रखा जाता है। इससे उनके स्वास्थ्य में भी सुधार रहता है।