उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालFlorence Nightingale Award Smita Deorani Amita Deorani

गर्व है: गढ़वाल की दो सगी बहनों को मिला फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार, सेना में बड़े पदों पर हैं तैनात

मेजर जनरल स्मिता देवरानी और ब्रिगेडियर एमएनएस अमिता देवरानी को फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

Florence Nightingale Award Uttarakhand: Florence Nightingale Award Smita Deorani Amita Deorani
Image: Florence Nightingale Award Smita Deorani Amita Deorani (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: कुछ लोग मिसाल बनकर कई जिंदगियों को रौशन करने का हुनर रखते हैं।

Smita Deorani Amita Deorani Florence Nightingale Award

उत्तराखंड की रहने वाली सैन्य नर्सिंग सेवा (एमएनएस) की अपर महानिदेशक (एडीजी) मेजर जनरल स्मिता देवरानी और दक्षिणी कमान मुख्यालय ब्रिगेडियर एमएनएस अमिता देवरानी ऐसी ही शख्सियत हैं। इन दोनों बहनों को फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्मिता देवरानी और अमिता देवरानी की इस उपलब्धि ने उत्तराखंड को खुद पर गर्व करने का अवसर दिया है। देहरादून में रह रहे मेजर जनरल स्मिता देवरानी के चाचा डॉ. सुरेश देवरानी ने बताया कि उनके भाई शंभूप्रसाद देवरानी की तीन संतानों में सबसे बड़ी स्मिता ने सेना में 1983 में कमीशन हासिल किया। उनका परिवार यमकेश्वर विधानसभा के द्वारीखाल ब्लाक के डाडामंडी क्षेत्र में स्थित डुंडेख गांव का रहने वाला है। एक अक्टूबर, 2021 को उन्होंने एडीजी एमएनएस का कार्यभार संभाला।

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इससे पहले वह आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) की प्रिंसिपल मैट्रन, ब्रिगेडियर एमएनएस मध्य कमान मुख्यालय, प्रिंसिपल मैट्रन कमांड हॉस्पिटल (दक्षिणी कमांड) और निदेशक एमएनएस (प्रशासन) जैसे विभिन्न प्रमुख पदों पर रहीं। वर्तमान में वह दिल्ली में तैनात हैं। उनकी छोटी बहन अमिता देवरानी ब्रिगेडियर हैं, जो वर्तमान में पुणे में कार्यरत हैं। ब्रिगेडियर अमिता 1986 में कमीशन हुई थीं। वह पुणे के सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज में कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल, आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) कॉलेज आफ नर्सिंग और इंडियन नेवल हास्पिटल शिप (आईएनएचएस) अश्विनी के कॉलेज आफ नर्सिंग की वाइस प्रिंसिपल रह चुकी हैं। स्मिता, अमिता और नबिता समेत तीनों बेटियां शुरू से ही मेधावी रहीं। उनकी पढ़ाई दिल्ली में हुई। स्मिता और अमिता आज सेना में अहम पदों पर तैनात हैं, जबकि सबसे छोटी बहन नबिता दून के एक प्रतिष्ठित स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। स्मिता और अमिता आज प्रदेश की दूसरी कई बेटियों के लिए मिसाल बनकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।