उत्तराखंड अल्मोड़ाAlmora Teacher Mohan Chandra Kandpal Tree Plantation

उत्तराखंड में ऐसे शिक्षक भी हैं, मोहन कांडपाल ने अब तक लगाए 1 लाख पेड़, नदियों को दिया जीवनदान

जीवन की आपाधापी में हम प्रकृति से जुड़ना और उसे सहेजना भूल गए हैं, लेकिन शुक्र है कि दुनिया में अब भी शिक्षक मोहन चंद्र कांडपाल जैसे लोग मौजूद हैं।

Mohan Chandra Kandpal: Almora Teacher Mohan Chandra Kandpal Tree Plantation
Image: Almora Teacher Mohan Chandra Kandpal Tree Plantation (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: जल और जंगल हैं, तभी जीवन भी है। हम पर्यावरण को बचाने की बात तो करते हैं, लेकिन जब पौधे उगाने और प्रकृति को बचाने की बात आती है, तो कई बहाने तैयार मिलते हैं।

Mohan Chandra Kandpal Tree Plantation

जीवन की आपाधापी में हम प्रकृति से जुड़ना और उसे सहेजना भूल गए हैं, लेकिन शुक्र है कि दुनिया में अब भी शिक्षक मोहन चंद्र कांडपाल जैसे लोग मौजूद हैं, जो कि अपने काम के साथ-साथ प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी खूब निभा रहे हैं। अल्मोड़ा के सुरईखेत में स्थित आदर्श इंटर कॉलेज में रसायन शास्त्र पढ़ाने वाले मोहन चंद्र कांडपाल पर्यावरण एवं चेतना के अभियान में जुटे हैं। उनका अभियान लगभग 50 गांवों में फैल चुका है। वो अब तक एक लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। लोग उन्हें ‘पर्यावरण वाले मास्साब’ के नाम से जानते हैं। मोहन चंद्र कांडपाल कहते हैं कि आपदा अब उत्तराखंड की नियति बनती जा रही है। भूस्खलन, नदियों में अवैध अतिक्रमण, एक्सट्रीम वेदर कंडीशन और जलवायु परिवर्तन के नए संकेत साफ-साफ दिखाई पड़ रहे हैं। आगे पढ़िए

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मोहन चंद्र कांडपाल कहते हैं कि प्रदेश में 6000 से ज्यादा छोटी-बड़ी नदियां हैं, जिसमें से ज्यादातर नदियां या तो खत्म हो गई हैं, या बरसाती नदी बनकर रह गई हैं। हमें इस दिशा में सोचने की जरूरत है। जंगलों-नदियों को बचाने की जरूरत है। पर्यावरण वाले मास्साब मोहन चंद्र कांडपाल ने क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं। वो बताते हैं कि उनके पिता बैंक कर्मचारी थे, इसलिए उनका बचपन शहरों में बीता। उनके समय में पढ़े-लिखे लोग गांवों से दूर भागते थे, लेकिन वो अपने गांव कांडे लौट आए। किस्मत से उन्हें गांव के पास ही आदर्श इंटर कॉलेज सुरईखेत में रसायन शास्त्र के लेक्चरर के पद पर नियुक्ति मिल गई। जिसके बाद उन्होंने छात्रों संग मिलकर ‘पर्यावरण चेतना मंच’ बनाया, और लोगों के बीच पहुंचकर पर्यावरण-संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर बातचीत शुरू कर दी। उनकी ये मुहिम लगातार आगे बढ़ रही है। वो अध्यापन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं, साथ ही छात्रों को भी इस मुहिम से जोड़ रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी प्रकृति और उसके संरक्षण के महत्व को समझ सके।