उधमसिंह नगर: पीरियड्स या मासिक धर्म....ऐसा विषय जिसे आज भी शर्म से जोड़कर देखा जाता है। इसे लेकर परिवारों में खुलेआम चर्चा नहीं होती। पीरियड्स के दिनों में लड़कियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। न तो मंदिरों में एंट्री मिलती है और न ही किचन में।
Kashipur Jitendra celebrates daughters first menstruation
गांव-देहातों में तो आज भी पीरियड्स के दिन महिलाओं को गौशालाओं में रहकर गुजारने पड़ते हैं, लेकिन इसी समाज में काशीपुर के जितेंद्र जैसे लोग भी रहते हैं, जिन्होंने पीरियड्स से जुड़ी रूढ़िवादी सोच को तोड़ने के लिए कुछ ऐसा किया, जिसने उन्हें सोशल मीडिया पर हीरो बना दिया। जितेंद्र ने बिटिया के पहले पीरियड्स को सेलीब्रेट किया है। पिता की इस सोच को सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों तक की सराहना मिल रही है। पीरियड का दर्द झेलने वाली अन्य बेटियां भी एक पिता की इस सोच पर गौरवान्वित हैं। जितेंद्र मूलरूप से चांदनी बनबसा के रहने वाले हैं।
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वो बताते हैं कि पीरियड्स को लेकर उनके परिवार की सोच भी पहले रूढ़िवादी थी। जब उन्होंने पत्नी को इसके चलते परेशान होते देखा तो उन्होंने पूरे परिवार और समाज की सोच बदलने की कोशिश की। मासिक धर्म कोई अपवित्रता नहीं है, ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और जीवन का आधार है। उन्होंने सोच लिया था कि उनकी बेटी को पहले पीरियड्स आएंगे तो वो इसे उत्सव की तरह मनाएंगे। इसलिए 17 जुलाई को उन्होंने बेटी के पहले मासिक धर्म पर समारोह आयोजित किया और केक काटकर जश्न मनाया। इस दौरान लोगों ने बेटी रागिनी को कई उपहार दिए। कई लोगों ने गिफ्ट में सैनेटरी पैड दिए। रागिनी कहती हैं कि वो खुशकिस्मत है कि उन्हें समझदार माता-पिता मिले। अगर हर माता-पिता पीरियड्स को लेकर खुली सोच अपनाएं तो बेटियों के दर्द को कम करने में मदद मिलेगी। पिता जितेंद्र ने सोशल मीडिया पर आयोजन से संबंधित कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं, जिन्हें अब तक 10 हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर लोग जितेंद्र (Uttarakhand Kashipur Jitendra daughter period) की सोच को सलाम कर रहे हैं।