उत्तराखंड देहरादूनChakrata Chama Village Leela Chauhan became scientist in CSIR

Uttarakhand news: किसान की बेटी ने खेतों में हल भी चलाया पढ़ाई भी की, अब CSIR में बनी साइंटिस्ट

Chakrata Leela Chauhan किसान परिवार की बेटी लीला चौहान ने खेत में हल भी चलाया और पढ़ाई भी जारी रखी। बेटी को पढ़ाने के लिए पिता ने खेत तक बेच दिए थे।

Chakrata Leela Chauhan Scientist: Chakrata Chama Village Leela Chauhan became scientist in CSIR
Image: Chakrata Chama Village Leela Chauhan became scientist in CSIR (Source: Social Media)

देहरादून: पहाड़ की जिंदगी मुश्किल है, लेकिन यहां की होनहार बेटियां इन मुश्किलों पर जीत हासिल करने का हुनर खूब जानती हैं।

Leela Chauhan from Chakrata became scientist in CSIR

आज हम आपको पहाड़ की एक ऐसी ही होनहार बिटिया से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR-CFTRI, मैसूर) में वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति पाकर उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। हम बात कर रहे हैं लीला चौहान की, जो कि जौनसार बावर क्षेत्र की रहने वाली हैं। चकराता के चामा गांव की रहने वाली लीला चौहान की सफलता कई मायनों में खास है। लीला ने खेतों में हल चलाने के साथ ही पढ़ाई में भी खूब मेहनत की, जिसका नतीजा सबके सामने है। आगे पढ़िए

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लीला की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल में हुई, बाद में उन्होंने नवोदय विद्यालय से इंटर किया। लीला ने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। फिर आईआईटी खड़गपुर से एमटेक और पीएचडी किया। उन्होंने एमटेक की पढ़ाई स्कॉलरशिप से पूरी की। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली लीला को साल 2019 में उत्तराखण्ड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से यंग साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा जा चुका है। लीला ने अपने जीवन में कठिन परिस्थितियां देखीं, लेकिन हौसला बनाए रखा। लीला के छोटे भाई का अचानक निधन हो गया था, तब उनका परिवार बुरी तरह टूट चुका था, लेकिन लीला ने हिम्मत बनाए रखी। लीला की पढ़ाई जारी रखने के लिए पिता ने खेत तक बेच दिए थे। आज डॉ. लीला ने अपने परिवार के संघर्ष को सार्थक कर दिया। डॉ. लीला Leela Chauhan वैज्ञानिक के तौर पर सेवाएं दे रही हैं और साथ ही हर बेटी को कभी हार न मानने की प्रेरणा भी।