उत्तराखंड पिथौरागढ़First Buransh Garden of Uttarakhand built in Munsiyari

मुनस्यारी में बना उत्तराखंड का पहला बुरांश गार्डन, संरक्षित किए गए हैं 35 प्रजातियां

पिथौरागढ़ जनपद के मुनस्यारी में प्रदेश का पहला बुरांश उद्यान तैयार किया गया है, वन अनुसंधान केंद्र मुनस्यारी ने इस गार्डन को तैयार किया है।

Buransh Garden built in Munsiyari: First Buransh Garden of Uttarakhand built in Munsiyari
Image: First Buransh Garden of Uttarakhand built in Munsiyari (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से वन विभाग की अनुसंधान विंग ने चार वर्षों के मेहनत से मुनस्यारी में इस विशेष उद्यान को विकसित किया है। इसका उद्देश्य बुरांश प्रजातियों का संरक्षण और संवर्धन करना है। यह भारतीय हिमालय क्षेत्र और देश में बुरांश प्रजातियों को समर्पित पहला उद्यान है।

Uttarakhand's First Buransh Garden built in Munsiyari

यह बुरांश गार्डन एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें वन अनुसंधान केंद्र ने 35 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। इसमें उत्तराखंड में पाई जाने वाली 5 प्रजातियां रोडोडेंड्रोन कैपानुलेटम, रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम (बुरांश), रोडोडेंड्रोन बार्बाटम, रोडोडेंड्रोन एन्थोपोगोन और रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम भी शामिल हैं। वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि रोडोडेंड्रोन उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य इन खूबसूरत पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करना और बुरांश प्रजातियों पर वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही इन प्रजातियों के पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व के बारे में आम जनता में जागरूकता बढ़ाना भी है।

राज्य वृक्ष बुरांश रोडोडेंड्रोन प्रजाति का सबसे बड़ा फूल है

बुरांश (रोडोडेंड्रोन आर्थोरियम) सभी रोडोडेंड्रोन प्रजातियों में सबसे बड़ा है। यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष, नेपाल का राष्ट्रीय वृक्ष और नागालैंड का राज्य फूल है। इसके फूलों से शरबत बनाया जाता है, जिसमें प्रतिउपचायक, सूजनरोधी और विषाणुरोधी गुण होते हैं। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में ये प्रजातियां कीस्टोन प्रजाति के रूप में काम करती हैं, पुष्पण के समय जंगलों को रंगीन बनाती हैं और पक्षियों व अन्य परागणकों को आकर्षित करती हैं। इसके अलावा बुरांश प्रजातियां स्थानीय समुदायों की आर्थिकी में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इस उद्यान में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की बुरांश पर लिखी एकमात्र कुमाऊंनी कविता भी प्रदर्शित की गई है। उन्होंने कविता में बुरांश के फूलों की जीवंत सुंदरता का वर्णन किया है तथा बुरांश को हिमालयी क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और भव्यता का प्रतीक बताया है।