पिथौरागढ़: प्रत्येक साल यहाँ लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं और यहाँ कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं जिन्हें देखना लोग पसंद करते हैं। आज हम आपको प्राचीन गुफा पाताल भुवनेश्वर के बारे में बताएँगे, इसका रहस्य आज तक लोगों को पता नहीं चला है। दूर-दूर से पर्यटक इसे देखने आते हैं, इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी किया जाता है।
Uttarakhand Ancient Cave Patal Bhubaneswar Interesting Facts
उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर एक रहस्यमयी प्राचीन गुफा के लिए जाना जाता है। इस गुफा का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है और इसे दुनिया के अंत से जुड़े गहरे रहस्यों से भी जोड़ा जाता है। यहाँ पर इस रहस्य को समझने की कोशिशें हमेशा जारी रहती हैं, लेकिन अभी तक इस रहस्य को कोई नहीं समझ पाया है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां भी स्थित हैं।
राजा रितुपर्णा ने की थी मंदिर की खोज
पाताल भुवनेश्वर में एक प्राचीन गुफा है जो समुद्र तल से भी लगभग 90 फीट नीचे स्थित है और यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी है। इतिहासकार बताते हैं कि पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खोज सूर्य वंश के राजा रितुपर्णा ने की थी। एक बार जब राजा रितुपर्णा को नागों ने अंदर ले लिया था तब उस समय पर भगवान शिव और देवताओं ने दर्शन दिए थे इसके अलावा मान्यता यह भी है कि पांडवों ने इस गुफा में पूजा की थी जिसके उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है और लिखा है कि भगवान शिव पाताल भुवनेश्वर में रहते हैं यहाँ पर सभी देवता उनकी पूजा करते हैं। किंवदंतियों के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी और फिर यहां एक तांबे का शिवलिंग की स्थापना किया। माना जाता है कि यहां पर 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं।
शिवलिंग जब गुफा की छत छू लेगा तो हो जाएगी दुनिया खत्म
इस मंदिर में चार द्वार हैं: पाप द्वार, मोक्ष द्वार, धर्म द्वार और रण द्वार। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत के बाद रण द्वार बंद कर दिए गए। वर्तमान में केवल मोक्ष और धर्म द्वार ही खुले हैं। शिवलिंग लगातार बड़ा हो रहा है और माना जाता है कि जब यह छत को छू लेगा तब संसार समाप्त हो जाएगा। यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश का कटा सिर यहीं गिरा था। मंदिर के चार स्तंभ सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, और कलियुग के प्रतीक हैं। गुफा की ओर जाने वाली पतली सुरंग में अनेक चट्टानों की संरचना और विविध भगवानों की जटिल नक्काशियां देखने को मिलती हैं। यहां नागों के राजा अधिशेष की भी कलाकृतियां मौजूद हैं। यदि आप भी इतिहास से जुड़े रहस्यमयी जगहों में दिलचस्पी रखते हो तो आपको एक बार जरूर यहाँ जाना चाहिए।