उत्तराखंड Patal bhuvaneshwar cave in uttarakhand

गणेश चतुर्थी स्पेशल: देवभूमि की इस गुफा में मौजूद है गणेश जी का कटा सिर, यहीं छुपा है प्रलय का राज़

देवभूमि में आपको ऐसी ऐसी बातें देखने को मिलेंगी कि आपके रौंगटे खड़े हो सकते हैं।आज उस गुफा के बारे में जानिए जहां गणेश जी का कटा सिर मौजूद है ।

उत्तराखंड न्यूज: Patal bhuvaneshwar cave in uttarakhand
Image: Patal bhuvaneshwar cave in uttarakhand (Source: Social Media)

: उत्तराखंड की सभ्यता और यहां मौजूद मंदिरों की ताकत हर किसी को नतमस्तक किया है। देवभूमि में एक ऐसी गुफा है, जिसके लिए कहा जाता है कि यहां दुनिया के उदय और खात्मे से जुड़े कई राज हैं। कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान गणेश जी का कटा हुआ सिर मौजूद है। इस मंदिर में गणपति की बिना सिर की प्रतिमा भी स्थित है। इस प्रतिमा के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल है। इस ब्रह्मकमल से लगातार पानी की बूंद टपकती रहती है। गुफा के अंदर मौजूद गणेश जी का कटा सिंर, उस कथा की याद दिलाता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया था। इस गुफा में चार खंभे हैं जो चार युगों अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग को दर्शाते हैं। जी हां हम बात करे रहे हैं पाताल भुवनेश्वर गुफा की। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मौजूद है ये पवित्र गुफा। कहा जाता है कि इस गुफा में कलियुग के रूप में मौजूद शिला धीरे धीरे बड़ा रूप ले रही है। ये भी मान्यता है कि जिस दिन ये शिला ऊपर मौजूद पत्थर से मिलेगी, उस दिन धरती में प्रलय जैसी घटना हो सकती है।

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इस गुफा में ऐसे ऐसे रहस्य छुपे हैं, जो आपको भी हैरान कर देंगे। कहा जाता है कि यहां कलियुग के अंत का भी राज छुपा है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन बातों में कितनी सच्चाई है ? सच तो ये भी है कि यहां अब तक वैज्ञानिक भी कई बार रिसर्च कर चुके हैं, और हर बार उन्हें भी हैरानी हुई है। यहां अद्भुत शक्तियों और ऊर्जाओं का अहसास उन्हें खद हुआ है। कुछ साल पहले वैज्ञानिकों की एक टीम यहां रिसर्च के लिए आई थी। ये टीम कलियुग की शिला के बढ़ते आकार को समझ नहीं पाई। कई रहस्य यहां ऐसे हैं, जो हैरान करते हैं। मानते हैं कि स्कंद पुराण में इस गुफा के विषय में कहा गया है कि इसमें भगवान शिव का निवास है। सभी देवी-देवता इस गुफा में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। गुफा के अंदर जाने पर आपको इसका कारण भी समझ में आने लगेगा। गुफा के संकरे रास्ते से जमीन के अंदर आठ से दस फीट नीचे जाने पर गुफा की दीवारों पर कई ऐसी आकृतियां नजर आने लगती हैं जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे।

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ये आकृति एक हंस की है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये ब्रह्मा जी का हंस है। गुफा के अंदर एक हवन कुंड है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप भष्म हो गए थे। केवल तक्षक नाग ही बच गया जिसने राजा परीक्षित को काटा था। कुंड के पास एक सांप की आकृति जिसे तक्षक नाग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ के दर्शन होते हैं। इसे दुर्लभ दर्शन माना जाता है, जो किसी और तीर्थ में संभव नहीं होता। गुफा के अंदर आपको 33 कोटि देवी देवताओं की आकृति के अलावा शेषनाग का फन नजर आएगा। पाण्डवों ने इस गुफा के पास तपस्या की थी। काफी समय तक लोगों की नजरों से दूर रहे इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी।