: गर्व कीजिए...क्योंकि आप उस धरती में पैदा हुए हैं, जिसकी मिट्टी में देशभक्ति की भावना घुली है। उत्तराखंड के वीरों में हर बार साबित किया है कि पराक्रम के मामले में उनका कोई सानी नहीं। इसी साल अप्रैल के महीने में दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में वीरता पुरस्कार एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान उत्तराखंड शहीद रघुवीर सिंह को शौर्य चक्र से अलंकृत किया गया। चमोली जिले के मखोली गांव का सपूत भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन वो वीरता की एक बेमिसाल कहानी लिख गया। आप भी राष्ट्रपति भवन का ये वीडियो देखेंगे तो गर्व से लबरेज़ हो जाएंगे। राष्ट्रपति भवन में जब पहाड़ के लाल रघुवीर की शौर्यगाथा बताई जा रही थी, उस दौरान उनकी पत्नी और मां वहां मौजूद थीं। राष्ट्रपति ने खुद उनके पास आकर उन्हें शौर्य चक्र समर्पित किया। आइए शहीद रघुवीर की कहानी भी जान लीजिए।
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2017 में जब देश 15 अगस्त मनाने की तैयारी कर रहा था, तो दूसरी तरफ सीमा पर गोलियों की कड़कड़ाहट शुरू हो गई। आतंकियों ने भारत में घुसपैठ करने की ठानी। कश्मीर के कुलगाम में रघुवीर अपनी टीम के साथ पेट्रोलिंग पर थे। जैसे ही दल एक घर की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुंचा, तो लांस नायक रघुबीर सिंह ने आतंकियों का भंडाफोड़ कर दिया। आतंकियों ने दूसरी तरफ से अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी। रघुवीर सिंह ने तुरंत ही अपनी टीम को इस बारे में जानकारी दी और अलर्ट रहने के लिए कहा। अपने साथियों को कवर देने के लिए रघुवीर ने चारों आतंकियों पर धावा बोल दिया। इस दौरान उन्हें एक गोली लगी और वो घायल हो गए। अपनी परवाह ना करते हुए उन्होंने गोलीबारी जारी रख दी। उन्होंने एक आतंकी को मार गिराया और बाकी आतंकियों को भागने नहीं दिया।
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गोली लगने से खून लगातार बढ़ता जा रहा था। इस वजह से रघुवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए। रघुवीर अपने पीछे पत्नी रेखा और एक आठ साल के बेटे को छोड़ गए हैं। पत्नी रेखा और मां पिंगली देवी सम्मान समारोह के दौरान राष्ट्रपति भवन में मौजूद थी। आप भी ये वीडियो देखिए और खुद वीरता की ये कहानी सुनिए। जय हिंद जय उत्तराखंड।
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