उत्तराखंड देहरादूनschool did not gave admission to misdeed victime student

उत्तराखंड में दुष्कर्म पीड़ित छात्रा फिर से रो पड़ी, बड़े स्कूलों ने नहीं दिया एडमिशन!

ये उत्तराखंड के हाल हैं। बच्चियों की सुरक्षा के नाम पर चिल्लाने के लिए सड़क पर तो हर कोई उतर जाता है। लेकिन जब उसी बच्ची की मदद की बात हो, तो सब हाथ खींच लेते हैं।

dehradun school girl: school did not gave admission to misdeed victime student
Image: school did not gave admission to misdeed victime student (Source: Social Media)

देहरादून: किसी बच्ची के साथ कुछ गलत हो जाए, तो सड़क पर उतरकर हो-हल्ला मचाने वाले बहुत दिखते हैं लेकिन जब उसी बच्ची की मदद की बात हो, तो सब नदारद दिखते हैं। हाल ही में देहरादून में ही एक दुष्कर्म पीड़ित बच्ची के साथ जो कुछ हुआ, वो बेहद शर्मनाक है। एक बड़े स्कूल ने उस बच्ची को दाखिला देने के लिए इसलिए मना कर दिया क्योंकि वो दुष्कर्म पीड़ित है। मजबूत माता पिता ने बच्ची को देहरादून से बाहर एक स्कूल में प्रेवश दिलाया है। ना जाने कैसी बीत रही होगी उस बच्ची के मां-बाप पर जो खोखले समाज की ऐसी धारणा को अपनी आंखों से देख रहे हैं और कानों से सुन रहे हैं। पीड़ित पक्ष की वकील अरुणा नेगी चौहान ने इस मामले में उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री, शिक्षा विभाग, सीबीएसई और जिला प्रशासन से शिकायत की है।

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आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही देहरादून के भाऊवाला के जीआरडी वर्ल्ड बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से ना सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था, बल्कि स्कूल प्रशासन ने अस्पताल में जाकर उसका गर्भपात करवाने की कोशिश की थी। मामले में सहसपुर पुलिस ने चार छात्रों, स्कूल के निदेशक, प्रधानाचार्य समेत कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद स्कूल की मान्यता भी रद्द की गई थी। इसके बाद पीड़ित छात्रा के माता-पिता ने अपनी बच्ची के एडमिशन के लिए देहरादून के कई स्कूलों में संपर्क किया। किसी भी स्कूल ने उस बच्ची को दाखिला नहीं दिया। पीड़ित पक्ष की वकील के मुताबिक बीते महीने कैंट क्षेत्र के एक बड़े स्‍कूल में पीड़ित बच्ची के माचा-पिता गए थे। उन्‍होंने वहां बच्‍ची के दाखिले को लेकर बातचीत की, लेकिन स्कूल प्रशासन ने बच्ची को दाखिला देने से साफ इनकार कर दिया।

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कहा गया कि बच्ची दुष्कर्म पीड़ित है इसलिए स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके बाद मजबूर मां- बाप ने बच्ची को देहरादून के बाहर एक स्कूल में दाखिला दिलवाया। पीड़ित पक्ष की वकील अरुणा नेगी चौहान का कहना है कि इस मामले में सीएम से लेकर हर किसी को शिकायत पत्र भेजा गया है और स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है। सवाल ये है कि समाज में शिक्षा बांटने वाले स्कूलों को ये क्या हो गया है ? बेटियों के सम्मान की शिक्षा देने वाले स्कूल ये किस मानसिकता के शिकार हो गए हैं ? क्या ऐसे स्कूल ही समाज को बांटने का काम नहीं कर रहे ? क्या ऐसे स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत नहीं, जो बेटियों को खुद ही समाज से अलग कर देना चाहते हैं। सवाल कई हैं लेकिन इन सवालों का जवाब कौन देगा ? ये पता नहीं