उत्तराखंड उत्तरकाशीStudents result disturbed due to negligence of Uttarakhand school education council

वाह रे उत्तराखंड बोर्ड..10 वीं में छात्रा के आए थे 91 नंबर, मार्कशीट तक आते-आते 57 हो गए

उत्तरकाशी की वर्षा ने दसवीं बोर्ड में हिंदी की परीक्षा में 91 नंबर हासिल किए थे, पर मार्कशीट में सिर्फ 57 नंबर दर्ज हुए, पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand school education council: Students result disturbed due to negligence of Uttarakhand school education council
Image: Students result disturbed due to negligence of Uttarakhand school education council (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: बोर्ड परीक्षा में एक-एक नंबर की क्या अहमियत होती है, ये उस छात्र से पूछिए जो सिर्फ एक नंबर की वजह से पास होते-होते रह गया। एक नंबर नहीं, महज कुछ प्वाइंट्स के अंतर से बच्चे टॉपर बनने से चूक जाते हैं। ये बात हम सभी जानते हैं। सोचिए ऐसे में उस बच्ची पर क्या गुजर रही होगी, जिसके दसवीं में 91 नंबर आए थे, पर मार्कशीट तक पहुंचते-पहुंचते ये नंबर 57 रह गए। ये कारनामा किया हुआ है उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा में। मामला उत्तरकाशी का है। यहां राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा को हिंदी में 91 नंबर मिले थे। उत्तर पुस्तिका में 91 नंबर दर्ज थे, पर जब बच्ची का रिजल्ट जारी हुआ, तो मार्कशीट में 57 नंबर अंकित किए गए। ये देख छात्रा बेहद निराश हुई। उसका दिल टूट गया। छात्रा ने इस बारे में अपने पिता को बताया। पिता ने आरटीआई लगाई और परिषद से इस बारे में जवाब मांगा। आरटीआई का जवाब आया तो उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की लापरवाही भी पकड़ में आ गई। आदे पढ़िए वर्षा रावत की पूरी कहानी...आपके होश उड़ जाएंगे।

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जिस छात्रा की मार्कशीट में गड़बड़ी हुई है, उसका नाम वर्षा रावत है। वर्षा बड़कोट में रहती हैं। इसी साल जून में वर्षा ने हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। वर्षा के पिता रविंद्र रावत कहते हैं कि जब बेटी की मार्कशीट उन्हें मिली तो वो हैरान रह गए। हिंदी में उसे सिर्फ 57 नंबर मिले थे। जबकि वर्षा ने पांच सब्जेक्ट्स में कुल 73.2 अंक हासिल किए थे। बाद में रविंद्र रावत ने आरटीआई के जरिए उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद से जानकारी मांगी। उनकी आशंका सच साबित हुई। उत्तर पुस्तिका में वर्षा को 91 नंबर मिले थे, जबकि मार्कशीट में सिर्फ 57 नंबर दर्ज किए गए। बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा वर्षा को भुगतना पड़ा। उसके प्रतिशत में गिरावट आई। बच्ची के पिता का कहना है कि इस लापरवाही की जिम्मेदार उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद है। उन्होंने इस बारे में अधिकारियों से बात की है। उन्हें कहा गया है कि छात्रा के अंक दोबारा मार्कशीट में जोड़े जाएंगे। आपको बता दें कि ऐसा ही एक मामला टनकपुर में भी सामने आ चुका है। करन सिंह महर नाम के मेधावी छात्र की कॉपी का सही मूल्यांकन नहीं हुआ था, जिस वजह से वो जिले की टॉप टेन सूची में जगह नहीं बना पाया। करन ने हाईस्कूल में 93 परसेंट नंबर हासिल किए थे।