उत्तराखंड अल्मोड़ाMajor chitresh bisht father did good work

उत्तराखंड शहीद चित्रेश बिष्ट की याद में नेक काम, 11 मेधावी बच्चों को हर साल मिलेगी छात्रवृत्ति

उत्तराखंड शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट (Major chitresh bisht) की यादें किसी के जेहन से नहीं गई हैं। इस बार उनके पहले शहादत दिवस पपर एक नेक काम किया गया।

Major chitresh bisht: Major chitresh bisht father did good work
Image: Major chitresh bisht father did good work (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: जम्मू कश्मीर के राजौरी नौसेरा सैक्टर में आईईडी डिफ्यूज करते समय मात्र 29 वर्ष की अवस्था में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट (Major chitresh bisht) के पहले शहादत दिवस के अवसर पर उनके पैतृक गांव पीपली में शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया पहुंचे। जिलाधिकारी द्वारा चित्रेश फाउन्डेशन की ओर से 11 कमजोर मेधावी बच्चों छात्रवृत्ति प्रदान की और कहा कि यह धनराशि चित्रेश फाउन्डेशन की ओर से प्रतिवर्ष दी जायेगी। शहीद चित्रेश के पिता पहले ही बता चुके थे कि वो अपने बेटे की याद में गरीब और मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति देंगे। आखिरकार वो नेक काम हो गया। अब इन्हीं में से कोई बच्चा आगे चलकर जांबाज चित्रेश की तरह सेना में जाएगा और देशसेवा करेगा। 16 फरवरी 2019 को मेजर चित्रेश आईईडी डिफ्यूज करते वक्त हुए धमाके में शहीद हो गए थे। 19 दिन बाद यानि 7 मार्च को उनकी शादी होने वाली थी, शादी के कार्ड बंट चुके थे, लेकिन अचानक सबकुछ खत्म हो गया... आगे पढ़िए

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शहीद मेजर चित्रेश के पिता एसएस बिष्ट ने कहा था कि जल्द ही वो अपने बेटे के नाम पर 11-11 गरीब बच्चों को 10-10 हजार की छात्रवृत्ति प्रदान करेंगे। अब वो बच्चों को सेना के लिए तैयार करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें निशुल्क कोचिंग दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन सरहद पर तैनात हर जवान सुरक्षित रहे, परिवार को उनकी चिंता ना सताए, इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने ही होंगे। मेजर चित्रेश बिष्ट पिछले वर्ष 16 फरवरी को राजौरी के नौसेरा सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे। आतंकियों ने यहां पर ई-प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था। सेना की टीम इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रही थी। आईईडी डिफ्यूज करने की जिम्मेदारी मेजर चित्रेश बिष्ट (Major chitresh bisht) को दी गई। उन्हें इसमें महारत हासिल थी, लेकिन उस दिन आईईडी में ब्लास्ट हो गया, जिसमें मेजर चित्रेश शहीद हो गए।