उत्तराखंड चमोलीCoronavirus Uttarakhand:Chamoli district Labours moved to saharanpur

उत्तराखंड: खिचड़ी खाकर चमोली जिले से पैदल चल पड़े मजदूर, 337 किलोमीटर चलना है

लॉकडाउन होने के बाद चमोली में कार्य करने वाले बाहरी राज्यों से आये दैनिक मजदूरों ने पैदल ही घर वापसी का निर्णय लिया। खाने के नाम पर इन लोगों के पास मात्र खिचड़ी है,

Coronavirus Uttarakhand: Coronavirus Uttarakhand:Chamoli district Labours moved to saharanpur
Image: Coronavirus Uttarakhand:Chamoli district Labours moved to saharanpur (Source: Social Media)

चमोली: इन लॉकडाउन के दिनों में हम सब तो अपने-अपने घरों में बंद हो रखे हैं मगर उन लोगों का क्या जिनका घर मीलों दूर है। जिनको घर पहुँचना है मगर पहुँच नहीं पा रहे। जब सरकार ने सब बॉर्डर्स सील कर रखे हैं, ट्रेन निरस्त कर रखी हैं, बस की सेवा बन्द कर रखी है, ऐसी हालात में इन दिहाड़ी मजदूरों की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? कौन इनकी गुहार सुनेगा? लॉकडाउन के समय हिदायत है कि घर पर रहें मगर वो लोग कहाँ जायें जो गरीब हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, जो परिवार में एक मात्र कमाने वाले हैं, और वो दूर किसी ऐसी जगह फंस रखे हैं जहां उनके पास न खाना है, न रहने के लिए जगह, न ही गुज़र-बसर करने के लिए पैसे। जब ऐसी ही परिस्थिति आयी तो चमोली के मजदूरों ने पैदल ही अपने घर जाने का निर्णय कर लिया।

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सारे यातायात बन्द हो जाने पर अपने घर लौटने के लिए जब इनके पास कुछ नहीं बचा तो इन लोगों ने जोशीमठ से सहारनपुर 337 किमी का लंबा रास्ता पैदल ही नापने का निर्णय लिया। ये मजदूर चार-चार के झुंड में आगे बढ़ रहे हैं ताकि पुलिस उनको न पकड़े। प्राप्त जानकारी के अनुसार चमोली जिले में बाहरी प्रदेशों से हज़ारों की संख्या में मजदूर काम करते हैं। लॉकडाउन के बाद सब कुछ ठप्प पड़ने के बाद उन मजदूरों के अधिकतर ठेकेदार कार्यस्थल से गायब हो रखे हैं। ऐसे में न ही उन मजदूरों के पास खाने के लिए राशन है और न रहने का कोई प्रबंध। साथ ही परिवार की उनको अलग चिंता है, इसलिए वो चमोली जिले से अपने शहर सहारनपुर 337 किमी पैदल ही रुख कर रहे हैं। जरा सोचिए ये कितना गंभीर विषय है। आगे भी पढ़िए इस बारे में खास बातें।

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सहारनपुर जा रहे उन पैदल मजदूरों में से ग्राम बेहट जिला सहारनपुर के निवासी सन्नी ने बताया कि वह जोशीमठ क्षेत्र में हाइवे के चौड़ीकरण के कार्य के लिए चमोली, श्रवण ठेकेदार के साथ आये थे। लॉकडाउन के बाद से ठेकेदार का कुछ अता-पता नहीं है। डेरे में राशन भी नहीं है। ऐसे में उनके पास घर वापसी के अलावा कोई चारा नहीं है। उन्होंने बताया कि वे तड़के सुबह 4 बजे हेलंग से चलकर सहारनपुर के लिए निकले हैं। संसारपुर गांव के निवासी इरफान का कहना है कि वो और उनके आसपास के गांव के तकरीबन 18 मजदूर चमोली पहुँचे थे। ठेकेदार जब गायब हुआ तब उन्होंने यह कठोर निर्णय लिया। बता दें कि 337 किमी पैदल जाने वाले मजदूरों के पास खाने के नाम पर मात्र खिचड़ी है जो वो रात में तैयार करके बैग में ढो कर चार-चार के झुंड में 337 किमी की यात्रा पूरी कर रहे हैं।