पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के शहीद अमित अण्थवाल (Shaheed Amit Anthwal) को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई। जवान बेटे की शहादत पर पिता के चेहरे पर गर्व दिख रहा था, लेकिन आंखें आंसुओं से भरी थी। जिस बेटे के सिर पर सेहरा सजने का सपना देख रहे थे, वो उन्हें अचानक छोड़कर चला गया, इससे बड़ा दुख एक पिता के लिए और क्या हो सकता है। अमित अणथ्वाल की शहादत पर पौड़ी के कल्जीखाल की कफोलस्यूं पट्टी के समस्त गांवों में देशभक्ति की अलख देखने को मिली। लॉकडाउन का पालन करते हुए लोग शहीद को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने से पहले ही अलग-अलग गांवों के लोग एकजुट हो गए थे। जैसे ही पार्थिव शरीर घर पहुंचा पूरा कोला गांव भारत माता के जयकारों से गूंज उठा। माता-पिता बिलख रहे थे। बहनों के आंसू भी थम नहीं रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर गर्व दिख रहा था।
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बेटे को तिरंगे में लिपटा देख पिता गर्व से भर गए। शहीद अमित अण्थवाल के अदम्य साहस के चर्चे हर गांववाले की जुबान पर थे। अमित अण्थवाल 26 फरवरी 2019 को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक का हिस्सा रहे थे। पीएम मोदी ने भी उनके साहस को सराहा था और पांच लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की थी। मंगलवार को सेना के वाहन से शहीद अमित अण्थवाल का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया। जहां सबसे पहले पिता नागेंद्र प्रसाद, मां भगवती देवी और बहनों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए। बाद में पार्थिव शरीर को पैतृक घाट ज्वाल्पा देवी ले जाया गया। जहां सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। अमित दो बहनों के एकलौते भाई थे। पिछले साल जुलाई में उनकी सगाई हुई थी। अक्टूबर में शादी होने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही देवभूमि के लाल ने देशसेवा में अपनी जान न्योछावर कर दी। शहीद की मंगेतर के पिता और भाई भी श्रद्धांजलि देने के लिए कोला गांव पहुंचे थे।
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मां और पिता अपने बेटे की शादी की तैयारियों में जुटे थे। अबी लॉकडाउन का वक्त चल रहा है, तो प्लानिंग थी कि लॉकडाउन पीरियड के बाद जरा बाजार जाएंगे। होने वाली बहू के लिए कुछ जेवर देखेंगे, तो बेटे के लिए कुछ अच्छे कपड़े खरीदेंगे। उस शहीद की दो बहने भी अपने भाई के लिए बड़े सपने संजो रही थी। आखिर घर में भाभी आने वाली थी, तो तैयारियां तो बनती ही हैं। उधर वो लड़की जो इस साल अपने सच्चे हीरो के साथ शादी के बंधन में बंधने वाली थी। हर किसी की आंखें अलग अलग सपने देख रही थीं कि एक बुरी खबर सामने आई। उन सपनों पर जैसे कुठाराघात हो गया। एक असीम दुख..जिसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की थी। पौड़ी गढ़वाल के कोला गांव का बेटा अमित अंथवाल (Shaheed Amit Anthwal) चला गया। साथ ही अपने साथ वो वीरता और बहादुरी की ऐसी कहानी लेकर चला गया, जिसे भुला पाना असंभव है। आगे पढ़िए