उत्तराखंड उत्तरकाशीUttarkashi doctor archana mohan good work

पहाड़ में कोरोना के खिलाफ मोर्चे पर टिकी है ये जांबाज डॉक्टर, अपनी जान की भी परवाह नहीं

वो अपनी जिंदगी दाव पर लगा कर कोरोना पीड़ितों की जांच कर रही हैं। सलाम है ऐसी डॉक्टरों को। पढ़िए ये खबर

Uttarkashi News: Uttarkashi doctor archana mohan good work
Image: Uttarkashi doctor archana mohan good work (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: वैश्विक महामारी घोषित हो चुका कोरोना संक्रमण कितना खतरनाक है यह तो हम सभी जानते हैं। समस्त विश्व में इसने अपना खौफ फैला रखा है। अगर हम भारत की बात करें तो हालत बहुत ही ज्यादा दयनीय है। भारत में प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लिए लॉक डाउन का आदेश जारी कर रखा है। उत्तराखंड की सड़कों पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसे में राज्य के सभी लोग इस वक्त अपने घरों के अंदर बंद हो रखे हैं और यह कामना कर रहे हैं कि इस वायरस का उपाय जल्द से जल्द निकले। हम सब तो अपने घरों में बंद हैं मगर क्या हम उन लोगों के बारे में सोचते हैं जिनको इन विकट परिस्थितियों में भी 1 दिन का आराम नहीं मिलता? आराम की बात तो छोड़ दीजिए वह तो रोज अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दूसरों की मदद करते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं हमारे राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों की। कोरोना हमारी देवभूमि के तमाम स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों की जान पर खतरा बनकर मंडरा रहा है। वह रोज न जाने कितने ही लोगों का सैंपल लेते हैं, कितने ही कोरोना पॉजिटिव और संदिग्ध लोगों का ध्यान रखते हैं। आज ऐसी ही बेटी के बारे में राज्य समीक्षा आप सबको बताने वाला है जो हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों का सैम्पल ले रही हैं।

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हम बात कर रहे हैं सीमांत जनपद उत्तरकाशी में कोरोना के खिलाफ जंग में माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना मोहन की। उत्तरकाशी में सभी कोरोना संदिग्धों के सैंपल लेने और उनको लैब तक भेजने की पूरी जिम्मेदारी डॉ. अर्चना मोहन की है। आपको बता दें कि उत्तरकाशी में 24 लोगों के सैम्पल लिए जा चुके हैं जिसमें से 19 की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। डॉ. अर्चना मोहन बताती हैं कि शनिवार तक उन्होंने 24 संदिग्धों के सैम्पल ले लिए हैं। सैम्पल लेते वक्त बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। अक्सर मरीजों को खांसी और छींक आती है तो उनको उससे भी बचना पड़ता है। कई मरीजों को समझाने में ही काफी समय लग जाता है। साथ ही वे यह भी कहती हैं कि दवाइयां या खाना तो दूरी बना कर दिया जा सकता है मगर सैम्पल लेने का कार्य दूरी बना कर नहीं किया जा सकता है।

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कुल मिला कर सैम्पल लेने का कार्य बेहद रिस्की है और वे इस कार्य को बहुत ही मेहनत से और सावधानीपूर्वक करती हैं। उनकी अभी हाल-फिलहाल में ही चार महीने पहले शादी हुई है और उनके पति बोकारो इस्पात संयंत्र में अभियंता के तौर पर कार्यरत हैं। उनके पति और परिवार के अन्य सदस्य उनको लेकर बहुत चिंतित रहते हैं और उनको नौकरी छोड़ कर घर आने को कहते हैं। वे कहती हैं कि इस विकट परिस्थितियों में परिजनों को भी समझाना पड़ता है क्योंकि अगर सभी काम छोड़ देंगे तो कोरोना से लड़ने के लिए कौन बचेगा। इनके जैसे डॉक्टरों की भारत में सबसे अधिक जरूरत है। डॉ.अर्चना जैसी बहादुर, कर्मठ और देशप्रेमी महिला को राज्य समीक्षा क पूरी टीम की ओर से सलाम।