उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालMohan lal baunthiyal of pauri garhwal

गढ़वाल की इस शख्सियत को आया PM मोदी का फोन, पहाड़ में बिताए पुराने पलों को किया याद

सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर जब वे अपने गाँव एता में अपने गेंहू के खेतों की तरफ घूमने गए थे तभी ये फोन आया जिसमे उनसे पूछा गया क्या मोहन (Mohan Lal Baunthiyal) जी बोल रहे हैं?

Mohan Lal Baunthiyal: Mohan lal baunthiyal of pauri garhwal
Image: Mohan lal baunthiyal of pauri garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सन साठ से जनसंघ से जुड़े मोहन लाल बौठियाल (Mohan Lal Baunthiyal) को आज यकीन नहीं हुआ कि उन्हें पीएमओ से फोन आया और प्रधानमंत्री बात कर रहे हैं। उनकी कुशल छेम पूछ रहे और उनके योगदान को याद कर रहे है। सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर जब वे अपने गाँव एता में अपने गेंहू के खेतों की तरफ घूमने गए थे तभी ये फोन आया जिसमे उनसे पूछा गया क्या मोहन जी बोल रहे है। उन्हें ये बताया गया कि प्रधानमंत्री बात करेंगे। फिर प्रधानमंत्री ने लगभग तीन मिनिट बात की। प्रधानमंत्री ने बताया कि आज उन्होंने जनसंघ से जुड़े अपने पुराने लोगो से बात की इसी क्रम में आप से बात कर रहे है। ये समय संकट का है इसलिए वे सभी से बात कर रहे है साथ ही दोनों ने अपनी बद्रीनाथ व श्रीनगर गढ़वाल की मुलाकातों को याद किया। मोहन लाल बौठियाल ने कहा कि ये किसी कार्यकर्ता के लिए बहुत बड़ा सम्मान है कि जब देश का प्रधानमंत्री स्वयं फोन करके उनका हालचाल पूछता है और पीएम मोदी की यही खूबी उन्हें जननायक बनाती है।

ये भी पढ़ें:

गौरतलब है कि मोहनलाल बौठियाल (Mohan Lal Baunthiyal) उत्तराखण्ड में बीजेपी ये संस्थापको में से एक रहे है सन 58 में वे बाल स्वयं सेवक के तौर पर संघ से जुड़ गए थे। 60 में वे जनसंघ से जुड़े ओर फिर 77 में जनता पार्टी में फिर 80 में बीजेपी के सदस्य बने और तब से आज तक जुड़े है। उत्तराखण्ड में बीजेपी को एक पार्टी के तौर पर खड़ा करने के लिए सालों साल कठिन परिश्रम किया वे राज्य बनने के बाद पार्टी के कई बारिष्ठ पद पर रहे। पंचायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे, अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे और कई बार गढ़वाल लोकसभा के प्रभारी व पालक रहे। बीजेपी सरकार के समय वन निगम व जलागम प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रहे। वही विद्या भारती रामजन्मभूमि आंदोलन व राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही है। बताया जाता है कि वो कई बार जेल भी गए हैं। इसके अलावा वो आपातकाल में भी भूमिगत आंदोलन में सक्रिय रहे और राज्य बनने से पहले पर्वतीय विकास परिषद के सदस्य भी रहे।