देहरादून: आज जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं वह खबर हो सकता है कि आपके लाडले की शिक्षा से जुड़ी हुई खबर हो, हो सकता है वह खबर आपके लाडले के भविष्य से जुड़ी हुई खबर हो। आज के महंगे दौर में आप जीवन भर की पूंजी कमाते हैं और उसे अपने बच्चे की शिक्षा में लगा देते हैं। लेकिन जरा सोचिए कि आप की यह गाढ़ी कमाई बेकार चली जाए और आपके लाडले के भविष्य पर सवालिया निशान लग जाए तो क्या होगा?
जी हां आज हम एक सवाल उन बच्चों के भविष्य को लेकर खड़ा करना चाह रहे हैं जिनके भविष्य पर उस यूनिवर्सिटी ने ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हम बात कर रहे हैं देहरादून के प्रेम नगर में स्थित पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी की। इस यूनिवर्सिटी के छात्रों की पीड़ा जानकर और समझकर आपको खुद हैरानी होगी और आप बार बार सोचेंगे कि अपने लाडले का एडमिशन इस यूनिवर्सिटी में करवाएं या ना करवाएं? इस यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल कोरोनावायरस की वजह से हर यूनिवर्सिटी में यह तय किया गया कि छात्रों के ऑनलाइन एग्जाम होंगे। ऐसा ही कुछ देहरादून की पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी में भी किया गया था। लेकिन ऑनलाइन एग्जाम के नाम पर अगर छात्रों को धोखा मिले तो सोचिए छात्रों के भविष्य पर क्या गुजरेगी?
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कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों का आरोप है की ऑनलाइन परीक्षा के दौरान उन्हें एक ऐसा सॉफ्टवेयर दिया गया, जिससे खुद छात्र ही पशोपेश में पड़ गए। इस सॉफ्टवेयर का नाम है "METTL".. इस सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए लगातार इंटरनेट की कनेक्टिविटी चाहिए और इसके अलावा वेबकैम की खास जरूरत है। सबसे खास बात यह है कि इस सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए स्पेशल कॉन्फ़िगरेशन चाहिए। इतने वजनदार सॉफ्टवेयर के डाउनलोड होते हैं कई छात्रों के सिस्टम ने खुद-ब-खुद काम करना बंद कर दिया। अब इस पर हैरान कर देने वाली बात यह है कि छात्रों को परीक्षा के लिए 3 घंटे का जी हां सिर्फ 3 घंटे का वक्त मिला था । इस यूनिवर्सिटी में बीटेक एमबीए और एलएलबी के फाइनल ईयर के छात्रों को इस परेशानी का सामना करना पड़ा है। छात्रों का कहना है कि उन्होंने कॉलेज से इस बात की अपील भी की कि सॉफ्टवेयर को बदला जाए लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। आगे पढ़िये..