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उत्तराखंड में एडवेंचर का स्वर्ग..17 साल बाद बनकर तैयार है ये सड़क..जानिए बेमिसाल खूबियां

लिपुलेख सड़क (uttarakhand lipulekh road) कार्य का निर्माण कार्य आखिर 17 साल बाद पूरा हुआ। इस सड़क के बारे में जानकर आपको आश्चर्य भी होगा...जानिए इसकी खूबियां

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Image: all you should know about uttarakhand lipulekh road (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: करीबन 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क (uttarakhand lipulekh road) बनकर तैयार हो गई है। यह भारत के लिए गर्व की बात होगी। बुधवार को रक्षा मंत्री Rajnath singh ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित घटियाबगड़ से लिपुलेख दर्रे तक बनी सड़क का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। उन्होंने यह राष्ट्र को समर्पित की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सड़क निर्माण के लिए BRO को भी शुभकामनाएं दी हैं। इस सड़क के बनने के साथ ही बहुत से कार्यों में राहत मिलेगी और भारत को काफी फायदा भी मिलेगा। क्या आप जानते हैं कि इस सड़क के बनने से कैलाश मानसरोवर यात्रा अब बेहद सुगम हो जाएगी। जी हां, जहां पहले कैलाश मानसरोवर तक का रास्ता तय करने में 21 दिन का लंबा समय लगता था अब उसी Mansarovar की यात्रा 1 हफ्ते में तय हो जाएगी।

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सबसे कठिन मानी जाने वाली kailash Mansarovar यात्रा को पूरी करने के लिए शिविर धारचूला से लगभग 80 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा पैदल ही पूरी करनी पड़ती थी। मगर इस सड़क के बनने से यह यात्रा सुगम हो जाएगी। इस सड़क का निर्माण कार्य अब पूरा हो चुका है, इसी के साथ पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और बीआरओ के अधिकारियों ने Naini saini airport से सेना और अर्धसैनिक बलों के वाहन लिपुलेख के लिए रवाना किए। वहीं आने वाले कुछ दिनों में सिविल गाड़ियों की भी सड़क पर आवाजाही शुरू हो जाएगी। इस सड़क के बनने के साथ भारतीय सेना का काम भी आसान हो जाएगा। बता दें कि चीन सीमा को जोड़ने वाली इस सड़क के निर्माण से बॉर्डर पर तैनात सेना और जवानों को आने-जाने में बहुत सुविधा होगी। अचंभे की बात है कि यह सड़क 17 साल की लंबी अवधि में बनी है।

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2003 में BRO को इस सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2008 तक इस सड़क का निर्माण पूरा होना था मगर भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निर्माण कार्य अपने निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाया। सड़क (uttarakhand lipulekh road) के निर्माण में कठोर चट्टान के कारण इस हद तक कठिनाई आई कि मात्र 4 किमी सड़क बनाने में 3 साल लग गए। परिस्थितियां इस हद तक खराब थीं कि इस सड़क के निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और उपकरणों को एयरलिफ्ट के जरिए क्षेत्र तक पहुंचाया गया है। इस कार्य मे वायुसेना के एमआई-17 और 26 हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया गया। पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से मशीनें मंगवाई गई थीं। साथ ही साथ यह सड़क एडवेंचर टूरिज्म का नया डेस्टिनेशन भी बनेगी। दुर्गम इलाके में बनी यह सड़क एडवेंचर के शौकीनों को भी खूब आकर्षित करेगी।