उत्तराखंड पिथौरागढ़No entry without permission in pithoragarh Berinag

कोरोनावायरस: उत्तराखंड के इन 22 गावों में नो एंट्री, बनाए गए सख्त नियम

22 गांवों में बाहर से आने वाले लोगों को ग्राम प्रधान की अनुमति के बाद ही गांव प्रवेश मिल सकता है। जिला पंचायत के सदस्य ने 22 गांवों के ग्राम प्रधानों के साथ बैठक की। उसी बैठक में यह निर्णय लिया गया।

Pithoragarh News: No entry without permission in pithoragarh Berinag
Image: No entry without permission in pithoragarh Berinag (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में परिस्थितियां बद से बदतर हों रही हैं। हर दिन कोरोना के केस अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने में तुले हुए हैं। सरकार और प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल रखे हैं। ऐसे में जरूरत है कि अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी अब खुद के ही हाथों में ली जाए। यह जरूरी भी है। ऐसे में उत्तराखंड के कई ऐसे गांव हैं जो अपनी सुरक्षा खुद ही कर रहे हैं। कई गांवों ने खुद को पूरी तरह से सील कर दिया है और बाहर से लोगों की आवाजाही भी बंद हो रखी है। गांववालों के द्वारा भी इस निर्णय को सपोर्ट किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ निर्णय पिथौरागढ़ के बेरीनाग में जिला पंचायत ने लिया। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में जिला पंचायत के सदस्य दिवाकर रावल ने चौखुना पिपली के 22 गांवों के ग्राम प्रधानों के साथ बैठक की। सभी ग्राम प्रधानों का यह मानना था कि कोरोना को गांव में आने से रोकने के लिए कठोरता बरतनी ही पड़गी। सभी विचार-विमर्श करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सभी गांव में ग्राम प्रधान की अनुमति के बाद ही प्रवेश मिल सकता है।

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बता दें कि चैड़मन्या क्षेत्र के एक गांव के अंदर कोरोना पॉजिटिव मिलने से हड़कंप मच गया। जिसके बाद जिला पंचायत और ज्यादा सक्रिय हो उठी है। हाल ही में जिला पंचायत के सदस्य दिवाकर रावल ने क्षेत्र के 22 गांव के ग्राम प्रधानों के साथ बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कोरोना को गांव तक नहीं पहुंचने दिया जाए। ऐसे में यह फैसला भी लिया गया कि अब ग्राम प्रधानों को अपने स्तर पर ठोस निर्णय लेना होगा। वहीं सभी 22 गांव की सीमाओं को बंद किया जाएगा। बाहर से आने वाले सभी लोगों को गांव में प्रवेश लेने से पहले ग्राम प्रधान से अनुमति लेनी होगी। जबतक ग्राम प्रधान अनुमति नहीं देगा तब तक कोई गांव में नहीं आ पाएगा। इसी के साथ होम क्वारंटाइन और लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने पर ग्राम पंचायत की ओर से सजा भी दी जाएगी। सुबह 7-12 के समय मे ही ग्रामीण स्तर पर दुकानें खुलेंगी। सभी गांव वालों को अनिवार्य रूप से नियमों का पालन करना होगा। केवल गांव निवासी ही नहीं अपितु ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के द्वारा भी अगर लापरवाही बरती गई तो उनके ऊपर भी सख्ती बरती जाएगी।