टिहरी गढ़वाल: अजब गढ़वाल की ये गजब कहानी है। हम जमीन-जमीन करते रह गए.. वो हमारे मंदिरों में घुस गए और अब कब्ज़ा जमाये बैठे हैं। टिहरी गढ़वाल में सामने आया ये मामला अकेला मामला नहीं है, रुद्रप्रयाग में भी कुछ ऐसे स्थान है जहां पर दिल्ली राजस्थान से आए हुए बाबा और साध्वी कई कई वर्षों तक रहते आए हैं। आज इन्हीं बाबाओं और साध्वियों का हमारे पहाड़ के मंदिरों पर कब्जा है।
Devyani of Madhya Pradesh occupies Khait Temple of Tehri Garhwal
हम किस पहाड़ को बचाने की बात कर रहे हैं ? जिसके विधायक यहां की जमीन और अब मंदिर भी बेच बैठा है ? पहाड़ अपने वजूद, अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहा है, पर पीछे से शायद हमारे विधायक हैं जो हमारे धार्मिक स्थलों को बेच रहे हैं। जी हां, टिहरी गढ़वाल के घनसाली क्षेत्र के खैंट पर्वत के मंदिर पर कब्जा कर बैठी मध्य प्रदेश की देवयानी गिरी के अनुसार उसे क्षेत्रीय विधायक का संरक्षण प्राप्त है। टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध खैंट पर्वत पर मध्य प्रदेश की साध्वी देवयानी गिरी, वहां आने वाले आसपास के ग्रामीणों को गालियां देती फिरती है। और कोई उसे टोके तो विधायक के नाम की धमकी देती है। पुलिस से भी वह अपने अच्छे कनेक्शन बताती है।
आस पास ही हैं बाहुबली नेता
घनसाली के विधायक शक्तिलाल शाह बीजेपी के नेता हैं। अपनी बाजुओं में असीमित ताकत का दंभ भरने वाले बीजेपी के एक दुसरे नेता सुबोध उनियाल भी ज्यादा दूर नहीं है, पर आश्चर्य की बात ये है कि मध्यप्रदेश की ये महिला किसी विधायक के नाम पर धमकी दे रही है, लोगों को अपने ही मंदिर में जाने से रोक रही है और पहाड़ के हितैसी इन बाहुबलियों को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा। अगर ये बात सच है, और विधायक ही ऐसे लोगों को संरक्षण यदि दे रहे हैं, तो इसी प्रकार के और भी लोगों के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है। फिर तो बच गया पहाड़ !!
रील बना रहे देवी-देवता, मंदिरों पर बाहर वालों का कब्ज़ा
हो सकता है, कि साध्वी अपनी धौंस जमाने के लिए विधायक के साथ समन्धित होने की झूठी कहानी गढ़ रही हो, लेकिन पिछले कई वर्षों से यदि साध्वी लगातार इसी तरह से विधायक की धौंस दे रही है और विधायक को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है तो कहीं ना कहीं इसमें विधायक की भी मिलीभगत है। एक ओर जमीन बचाने की जद्दोजहद और दूसरी ओर अब मंदिरों पर भी खतरा। टिहरी गढ़वाल के खैंट पर्वत के मंदिर के क्षेत्रीय विधायक तो छोड़िए क्षेत्रीय पुलिस या कोई और क्षेत्रीय नेता तक वहां एक बार सुध लेने नहीं पहुंचे। खैंट पर्वत मंदिर समिति का कुछ अता-पता नहीं है। हां.. "डोलियां सैकड़ों की संख्या में नाचने लगी हैं"। लगता है देवी-देवता मंदिर छोड़ कर इन्स्टाग्राम की रील बनाने डोलियों में बाहर निकल गए हैं और इसीलिए क्यूंकि मंदिर खाली हो रहे हैं... तो वहाँ देवयानी गिरी जैसे लोगों का कब्जा हो रहा है।
कुछ बड़े सवाल हैं..
1. क्या खैंट पर्वत मंदिर समिति ने मध्य प्रदेश की देवयानी को यह खैंट पर्वत का मंदिर सौंप दिया है ?
2. क्या क्षेत्रीय विधायक ने मध्य प्रदेश की देवयानी को इस खैंट पर्वत का संरक्षण दिया है ?
3. क्या क्षेत्रीय लोगों ने मध्य प्रदेश की देवयानी के ज्ञान से प्रभावित होकर उन्हें खैंट पर्वत के मंदिर पर पूजा करने के लिए आमंत्रित किया है?
4. क्या अपने मंदिरों में जाने के लिए हम पहाड़ियों को साल भर पहले आई एक नकचढ़ी महिला से परमिशन लेनी होगी ?
चुप रा छोरो.. हल्ला न करा.. मंत्री दीदा स्ययुं चा
कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, लेकिन जमीन बचाने को लेकर हर दिन अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने वाले सभी नेता इन विडियो को इगनोर कर रहे हैं। नेताओं के पास शायद ये बहाना ये है कि ये क्षेत्र उनका नहीं है। मंदिरों पर जो यह बाहर वालों का कब्जा हो रहा है.. ये नहीं दिखता। संस्कृति विभाग तो हमेशा की तरह सोया पड़ा है। खैंट पर्वत मंदिर समिति भी दुबकी पड़ी है। पड़ोस के ही एक "वरिष्ठ बीजेपी विधायक नेता की जुबान बोलती" मध्यप्रदेश की देवयानी गिरी के कब्जे से खैंट पर्वत कब तक आजाद हो पाता है.. आप और हम साथ देखेंगे। अगले साल वोट देते समय.. बस ये बातें याद रखियेगा।