उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालKotdwar desi sharab theka closed

उत्तराखंड से अच्छी खबर..महिलाओं का आंदोलन रंग लाया, बंद हुआ शराब का ठेका

रंजना रावत के नेतृत्व में कई स्थानीय महिलाओं ने कोटद्वार में देशी शराब की दुकान के खोले जाने के विरोध में 10 दिन तक लगातार आंदोलन किया जिसके बाद आखिरकार जिला प्रशासन को झुकना ही पड़ा

Kotdwar liquor contract: Kotdwar desi sharab theka closed
Image: Kotdwar desi sharab theka closed (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: सच मे... स्त्रियों की एकजुटता में सिस्टम तक को हिलाने की क्षमता है। इतिहास गवाह है कि जब-जब समाज में कुछ गलत होता है तो स्त्रियों ने एकजुटता दिखाई है और बुराई के खिलाफ एक स्वर में आवाज बुलंद की है। अब आप कोटद्वार में ही देख लीजिए। पिछले दस दिनों से कोटद्वार में रंजना रावत और उनके साथ कई महिलाएं शराब की दुकान खुलने का विरोध कर रही थीं। उनके सामने कई चुनौतियां थीं मगर तब भी वह अंत तक डटी रहीं और आख़िरकार सिस्टम को उनकी सुननी पड़ी। कोटद्वार की देशी शराब की दुकान पर ताला लग गया है। यह सच है कि पहाड़ों पर शराब का सेवन हर घर में बेहद आम है। ऐसे में औरतों के घर यही शराब कलह की वजह बनती है। लॉकडाउन में शराब काल बनकर सामने आई है। आर्थिक परिस्थितियां ठीक न होने के बावजूद पुरुषों द्वारा शराब का सेवन जारी है जिस कारण महिलाओं को काफी समस्या हो रही है। ऐसे में कोटद्वार के वार्ड नम्बर 3 सनेह क्षेत्र में शराब की नई दुकान खोले जाने के विरोध में स्थानीय महिलाओं ने 10 दिन पहले धरना देना शुरू किया। उनका नेतृत्व किया रंजना रावत ने। आखिरकार जब सभी महिलाओं ने एक जुट होकर आवाज उठाई तो प्रशासन ने भी उनकी हिम्मत के आगे घुटने टेक दिए।

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बता दें कि कुछ दिनों पहले ही कोटद्वार के वार्ड नंबर 3 सनेह क्षेत्र में सरकार द्वारा शराब की नई दुकान खोलने का निर्णय लिया गया था। यह बात जब स्थानीय औरतों को पता लगी तो उन्होंने इस बात का पुरजोर विरोध किया। पहले ही दिन से महिलाएं शराब की दुकान के सामने बैठ रखी थीं। महिलाओं के सामने कई चुनौतियां भी आईं। उनकी पुलिस से नोकझोंक भी हुई मगर महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी। पुलिसकर्मियों vs उनको दुकान के सामने से हटकर कहीं और धरना देने की बात भी कही मगर हिम्मती महिलाएं दुकान के सामने ही डटी रहीं। सक्रिय नेता रंजना रावत के नेतृत्व में चलने वाले आंदोलन सैकड़ों स्रियों की शक्ति के सामने आखिरकार जिला प्रशासन को झुकना ही पड़ा। शराब की दुकान के बाहर ताला पड़ चुका है। इसी के साथ पिछले 10 दिनों से चलने वाला यह आंदोलन आज समाप्त हुआ। इस मौके पर रंजना रावत ने कहा कि प्रशासन के इस फैसले के विरुद्ध ग्रामीण महिलाओं ने जो हिम्मत और एकजुटता का परिचय दिया है वो सराहनीय है और इसी के साथ उन्होंने यह भी साबित किया है कि भविष्य में क्षेत्र में कुछ भी गलत होगा तो उसको रोकने की एक उम्मीद भी इन महिलाओं की आंखों में दिखी है।