उत्तराखंड हल्द्वानीkumaon regiment jawan yamuna prasad life

जांबाज फौजी और बेमिसाल पर्वतारोही थे शहीद यमुना प्रसाद..एवरेस्ट में बनाया था रिकॉर्ड

सूबेदार यमुना प्रसाद आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए...वो एक बेमिसाल पर्वतारोही भी थे।

Shaheed Yamuna Prasad Uttarakhand: kumaon regiment jawan yamuna prasad life
Image: kumaon regiment jawan yamuna prasad life (Source: Social Media)

हल्द्वानी: उत्तराखंड ने एक बार फिर एक सपूत खो दिया...आंखें नम हैं लेकिन दिल गर्व से भरा है। नैनीताल के हल्द्वानी के गोरा पड़ाव के निवासी सूबेदार यमुना प्रसाद अब हमारे बीच नहीं रहे। वो ना सिर्फ एक जांबाज सूबेदार थे बल्कि बेमिसाल पर्वतारोही भी थे। जी हां यमुना प्रसाद 2002 में सेना में भर्ती हुए थे। इसके बाद से वो सेना के साहसिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे। साल 2012 में वो दौर भी आया जब यमुना प्रसाद ने साबित किया कि वो एक जबरदस्त पर्वतारोही भी हैं। 2012 में उन्होंने माउंट एवरेस्ट चोटी को फतह करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था। इसके लिए उन्हेंं उनकी टीम के साथ सम्मानित भी किया गया था। वो ऑन ड्यूटी कई अवॉर्ड भी अपने नाम कर चुके थे। शहीद यमुना प्रसाद अपने पीछे बेटे 7 साल के बेटे यश और 5 साल की बेटी साक्षी को छोड़ गए।

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वो कुपवाड़ा में तैनात थे और एक रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे थे। खबर है कि इस दौरान पैर फिसलने की वजह से वो खाई में गिर गए और शहीद हो गए। वीरता के मामले में भी सूबेदार यमुना प्रसाद का कोई सानी नहीं था। वो कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे। गुरुवार को देर रात जवान की शहादत की खबर मिली। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। मिली जानकारी के अनुसार यमुना प्रसाद पनेरू भारतीय सेना की 6 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे। इस वक्त उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी। शहीद यमुना प्रसाद पनेरू का परिवार ओखलकांडा ब्लॉक के पदमपुर क्षेत्र में रहता है। जब से जवान की शहादत की खबर घर पहुंची है, पूरा क्षेत्र शोक में डूबा है। जवान यमुना पनेरू की शहादत पर लोगों को गर्व है, लेकिन उनके असमय चले जाने का गम लोगों को रुला भी रहा है।