उत्तराखंड अल्मोड़ाHeera singh rana died

उत्तराखंड के लिए दुख भरी खबर, नहीं रहे बेमिसाल लोकगायक हीरा सिंह राणा

हीरासिंह राणा का 78 वर्ष की उम्र मे दिल का दौरा पड़ने से आकस्मिक निधन हो गया है। वे अपने पीछे पत्नी बिमला व एक बेरोजगार पुत्र हिमांशू को छोड़ गए हैं।

Heera Singh Rana: Heera singh rana died
Image: Heera singh rana died (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के विख्यात लोकगायक और लोक कवि हीरासिंह राणा का दिल का दौरा पड़ने से आकस्मिक निधन हो गया है। वो 78 वर्ष की उम्र मे हम सभी को छोड़कर चले गए। वो अपने पीछे पत्नी बिमला और एक बेरोजगार पुत्र हिमांशू को छोड़ गए हैं। हीरा सिंह राणा जी का जन्म 16 सितंबर 1942 को अल्मोड़ा जिले के मनिला में डढोली गांव में हुआ था। अभूतपूर्व गीतों के रचयिता और न जाने कितनी बेमिसाल यादों को हमारे बीच छोड़ चुके हीरा सिंह राणा का जाना उत्तराखंड के लिए ब़ड़ी क्षति है। आपको याद होगा कि 2019 में सुप्रसिद्ध हीरा सिंह राणा जी को कुमांउनी, गढ़वाली और जौनसारी भाषा अकादमी का पहला उपाध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की गई थी। फरवरी 2020 मे भारत सरकार संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें अकादमी सलाहकार नियुक्त किया था। उनके निधन की खबर सुनकर शोक की लहर है। देशभर में मौजूद उत्तराखंडियों बीच चंद घंटों मे ही निधन की खबर पहुचते ही दुःख की लहर छा गई है।

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हीरासिंह राणा ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पहाड़ में लोगों को जीवन के उतार-चढ़ाव को हम सभी से साझा किया। पहाड़ की रौनकें, पहाड़ की खुशियां, पहाड़ के दुख और पहाड़ के जीवन को शब्दों के जरिये उकेरने वाले हिरदा अब इस दुनिया से चले गए हैं।

उन्हे संघर्ष करने की सीख प्रदान की थी। उन्होंने न जाने कितने युवाओं को सही जीवन जीने का रास्ता भी सुझाया था, जिसे एक मिशाल के रूप मे ही याद किया जायेगा। ये सब बातें इस लोकगायक की प्रसिद्धि व खासियत के रूप मे चर्चा का विषय पीढी दर पीढ़ी बना रहेगा। श्रोताओं के मध्य इस मौलिक रचनाकार की रचना और बेमिसाल गायन विधा की कला को कोई नही भूल पायेगा। इस लोकगायक के गीतों व रचनाओं को सुन प्रवास मे लोगों को गांव की याद आ जाती थी, उन्हे अपनी जड़ों से मिलने का अवसर मिलता था। अब महान लोकगायक व कवि की यादे ही शेष रह गई है, जनमानस के बीच, जो याद रहेंगी दशकों तक।