चमोली: अपने लाडले की खुशियों में शामिल होने की ख्वाहिश हर किसी मां-बाप की रहती है। वो लंबे समय तक इस पल का बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारतीय सैन्य अकादमी में साल में दो बार यानी जून व दिसंबर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में भी अक्सर ऐसा देखा जाता है। दरअसल परिजनों को उस वक्त का इंतजार रहता है जब वो अपने हाथों से अपने लाडले के कंधों पर पीप्स (सितारे) चढ़ा सके। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने न जाने कितने मां-पिता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बात हो रही है आईएमए से सटे प्रेमनगर के विंग नंबर-सात में रहने वाले सेना के रिटायर नायब सुबेदार मोहन सिंह रावत व उनकी पत्नी मोहिनी रावत की। मूलरूप से चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक के बिनायक गांव निवासी रावत दंपत्ति का इकलौता बेटा हीरा सिंह रावत (दीपू) भी इस बार आईएमए से पास आउट होकर बतौर लेफ्टिनेंट सेना का अभिन्न अंग बना। आगे पढ़िए
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उसे आर्मी एवियेशन कोर में कमीशन प्राप्त हुआ। केंद्रीय विद्यालय आईएमए से दसवीं और 12वीं उर्तीण करने के बाद हीरा ने आगरा स्थित दयालबाग इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक किया था। इसके बाद उसका प्लेसमेंट टाटा कंसल्टेंसी सर्विस मे हुआ। लेकिन हीरा ने मल्टीनेशनल कंपनी के जॉब को ठुकरा कर अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सेना ज्वॉइन करने को तरजीह दी। लिहाजा सीडीएस की परीक्षा पास कर अकादमी में प्रवेश प्राप्त किया। अकादमी सें सालभर तक कड़ा सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अगले एक दिन बाद हीरा सिंह रावत सेना मे अफसर बनने जा रहा है। मां-बाप अपने लाडले को मिलने जा रही खुशी के इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पिछले तीन माह से कोरोना (कोविड-19) संक्रमण के चलते जो हालात देश-दुनिया में बने हुए हैं, उससे उम्मीदों पर पानी फिर गया है। परिजनों की मायूसी इस बात को लेकर भी कि महज कुछ दूरी पर आयोजित हो रही पासिंग आउट परेड के यादगार पलों को वो देख नहीं पाए। सेना के रिटायर नायब सुबेदार मोहन सिंह रावत बताते हैं कि उन्हें अपने बेटे की कामयाबी पर खुशी है। गर्व इस बात का भी दादा, नाना और पिता के बाद बेटा भी अब सैन्य सेवा के जरिए देश के सरहदों की हिफाजत करने जा रहा है।