उत्तराखंड देहरादूनStory of dehradun sagar who became army officer

देहरादून का सागर.. पिता से सीखी देशभक्ति, आज बेटा भी बन गया आर्मी ऑफिसर

उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परंपरा को यहां की यूथ ब्रिगेड आगे बढ़ा रही है, सेना में भर्ती होना यहां के युवाओं के लिए सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि जुनून है, जिसके लिए वो अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं...

Dehradun News: Story of dehradun sagar who became army officer
Image: Story of dehradun sagar who became army officer (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड सिर्फ देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। यहां के वीर सपूत देश के लिए मर मिटने का जज्बा रखते हैं। सेना में भर्ती होना यहां के युवाओं के लिए सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि जुनून है, जिसके लिए वो अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। उत्तराखंड की इस गौरवशाली परंपरा को अब पहाड़ की यूथ बिग्रेड आगे बढ़ा रही है। इन्हीं युवाओं में से एक हैं देहरादून के सागर पालीवाल, जो आज आईएमए से पास आउट होकर सेना में अफर बन गए। सागर का परिवार नथुवावाला पुष्प विहार में रहता है। पिता ऑनरेरी कैप्टन राजेंद्र प्रसाद 8वीं गढ़वाल राइफल में तीन दशक की सेवा के बाद रिटायर हुए। मां दीपा पालीवाल गृहणी हैं। बेटे की शानदार उपलब्धि से माता-पिता गर्वित हैं। उन्होंने बताया कि सागर में बचपन से ही देश सेवा का जुनून था। इसी जुनून के चलते उन्होंने सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पढ़ाई की। बाद में एनडीए में चुन लिए गए। शनिवार को अंतिम पग भरते ही सागर भारतीय सेना में अफसर बन गए।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - पहाड़ का हीरा..शहर की नौकरी छोड़ आर्मी अफसर बना..दादा, नाना और पिता के बाद निभाई सैन्य परंपरा
परिजनों को अपने होनहार लाल पर नाज है, लेकिन कोरोना संकट की वजह से वो बेटे की पासिंग आउट परेड में नहीं जा सके, इसका मलाल भी है। आईएमए की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान बेटे को कदमताल करते देखने और उसके कंधों पर पीप्स (सितारे) सजाने का सपना हर माता-पिता देखते हैं, लेकिन इस बार कैडेट्स के माता-पिता की इच्छा कोरोना की वजह से पूरी नहीं हो सकी। चमोली में रहने वाले सेना के रिटायर सूबेदार मोहन सिंह रावत का बेटा हीरा सिंह रावत भी आज सेना में अफसर बन गया। उसे आर्मी एविएशन कोर में कमीशन मिला है। मोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी मोहिनी रावत भी बेटे के कंधे पर सितारे सजाना चाहते थे, लेकिन कोरोना के चलते बने हालात की वजह से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सूबेदार मोहन सिंह रावत कहते हैं कि उन्हें बेटे की उपलब्धि पर गर्व है। जब बेटा सैन्य यूनिट से छुट्टी लेकर घर आएगा तो वो जरूर अपने हाथों से रस्म के तौर पर बेटे के कंधों पर सितारे लगाएंगे।