उत्तराखंड पिथौरागढ़Pithoragarh flood 4 dead bodies recovered

पहाड़ के टांगा गांव में मातम..बाढ़ से सब तबाह, पिता-बेटे-बहू समेत 4 लोगों के शव बरामद

गैला और टांगा गांव में बारिश की शक्ल में आई आपदा ने सबकुछ तबाह कर दिया। एक ही रात में दोनों गांव शमशान में तब्दील हो गए।

Pithoragarh cloudburst: Pithoragarh flood 4 dead bodies recovered
Image: Pithoragarh flood 4 dead bodies recovered (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ का गैला और टांगा गांव। जिला मुख्यालय से 93 किलोमीटर दूर स्थित इन गांवों में कुछ दिन पहले तक शांति थी। लॉकडाउन के दौरान परदेश में हर रहे बेटे घर लौट आए थे, गांव की रौनक लौट आई थी, लेकिन खुशियों को आपदा की नजर लग गई। शनिवार और रविवार को इन दोनों गांव में बारिश की शक्ल में आई आपदा ने सबकुछ तबाह कर दिया। एक ही रात में दोनों गांव शमशान में तब्दील हो गए। मंगलवार को टांगा गांव में मलबे से पिता-बेटे और बहू समेत चार लोगों के शव निकाले गए। इसी के साथ पिथौरागढ़ आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है। परिवार के दो बच्चों समेत 3 सदस्य अब भी लापता हैं। आइए आपको आगे इस बारे में विस्तार से पूरी जानकारी देते हैं।

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रविवार को बंगापानी तहसील में स्थित गैला और टांगा गांव में आई आपदा ने बरम, ला झेकला और बस्तड़ी हादसों की याद दिला दी। इन हादसों में भी गांव के गांव तबाह हो गए थे। कई लोगों की जान गई थी। रविवार रात भारी बारिश के दौरान टांगा गांव में भूस्खलन हुआ। जिससे कई मकान ध्वस्त हो गए। यहां माधो सिंह समेत 11 लोग मलबे में दब गए थे। सोमवार को मलबे से दो लोगों के शव बरामद हुए थे। मंगलवार को पिता-बेटे और बहू समेत 4 लोगों की लाश मिली। मरने वालों में माधो सिंह पुत्र चंद्र सिंह, गणेश सिंह पुत्र माधो सिंह, हीरा देवी पत्नी गणेश सिंह और रोशन कुमार शामिल हैं। गांव में रहने वाले जीतराम, पार्वती देवी, तुलसी देवी, दिव्यांशु, लक्की, पुष्पा देवी और प्रतिमा देवी अब भी लापता हैं। आगे भी पढ़िए

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टांगा और गैला गांव में हर तरफ मातमी सन्नाटा पसरा है। टांगा में लापता लोगों की तलाश के दौरान डीएम डॉ. विजय कुमार जोगदंडे और एसपी प्रीति प्रियदर्शनी पूरे दिन मौके पर मौजूद रहे। भयावह आपदा देख ग्रामीण बुरी तरह से सहमे हुए हैं। गांव में जिस जगह कल तक मकान हुआ करते थे, वहां अब मलबे का ढेर पड़ा है। गांव में जहां तक नजर जाती है, वहां सिर्फ बर्बादी का मंजर आता है। रविवार रात आसमान से बरसी आफत ने इस गांव की जमीन को 200 से अधिक स्थानों पर चीर दिया। लोग अब शमशान बन चुके गांव में रहना नहीं चाहते, ग्रामीणों ने प्रशासन से किसी सुरक्षित जगह पर विस्थापित करने की मांग की। देखना है कि इस मामले में आगे क्या होता है।