उत्तराखंड चमोलीMobile signal reached Nijmula Valley

गढ़वाल: युवा प्रधान की मेहनत रंग लाई..घाटी में पहली बार घनघनाए लोगों के मोबाइल

निजमुला घाटी में पहली बार मोबाइल फोन घनघनाए तो लोगों के चेहरे खिल उठे। अब उनके मोबाइल को कोई ‘डब्बा’ नहीं कहेगा।

Chamoli News: Mobile signal reached Nijmula Valley
Image: Mobile signal reached Nijmula Valley (Source: Social Media)

चमोली: ये तस्वीर चमोली जिले की निजमुला घाटी की है। शनिवार का दिन यहां के लोगों के लिए बेहद खास था। खास इसलिए, क्योंकि इस दिन गांव के लोगों ने पहली बार मोबाइल फोन पर नेटवर्क देखा, मोबाइल की घंटी सुनी। घाटी में मोबाइल फोन घनघनाए तो लोगों के चेहरे खिल उठे। अब उनके मोबाइल को कोई ‘डब्बा’ नहीं कहेगा। अपनों की आवाज सुनने के लिए उन्हें कई किलोमीटर का सफर तय कर दूसरे गांव तक नहीं जाना पड़ेगा। निजमुला घाटी जनपद चमोली के दशोली ब्लाक का दुरस्त इलाका है। इस घाटी के झिंझी, पाणा, ईराणी, दुरमी, पगना, गौणा, गाडी, ब्यारा, सैंजी, थौली, मोली, मानुरा, भनाई, तडाग ताल, हुडुंग, धार कुमाला सहित दर्जनों गांव है। ईराणी गांव के ग्राम प्रधान और प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी लगातार इस कोशिश में लगे थे कि यहां संचार सुविधा दुरुस्त हो सके। इस बीच उन्होंने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी तक अपनी बात पहुंचाई। अनिल बलूनी के सहयोग से शनिवार को घाटी में जियो मोबाइल सेवा की शुरुआत हो गई।

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बिरही में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने वर्चुअल रूप से जियो रिलायंस टॉवर का लाइव उद्घाटन किया। उन्होंने क्षेत्रीय समस्याओं को दूर करने का आश्वासन भी दिया। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने मोबाइल सेवा का शुभारंभ किया। निजमुला घाटी के युवा, ईराणी गांव के ग्राम प्रधान और प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी के प्रयासों से इस घाटी के दर्जनों गांवों में आजादी के 73 साल बाद फोन की घंटिया घनघाने लगी है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इसे घाटी के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। रिलायंस जियो के उत्तराखंड हेड विशाल अग्रवाल ने कहा कि जल्द ही घाटी के ईराणी गांव में भी एक टॉवर स्थापित किया जाएगा। इसके बाद क्षेत्र में सिग्नल की समस्या नहीं आएगी। मोबाइल सेवा की शुरुआत होने के साथ ही निजमुला घाटी के दर्जनभर गांव संचार सेवा से जुड़ गए। आपको बता दें कि घाटी में स्थित गांव के ग्रामीण आज भी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए चिट्ठियों पर निर्भर रहते थे।

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ईराणी गांव के ग्राम प्रधान और प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी ने अपनी समस्या राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के समक्ष रखी। उनके सहयोग से जियो रिलायंस ने घाटी को संचार सेवा से जोड़ दिया। बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि ब्रिटिश शासनकाल के दौरान चमोली जिले का पहला टेलीफोन निजमुला घाटी में ही लगाया गया था। साल 1894 में दुर्मी ताल के पास अंग्रेज अधिकारियों का गेस्ट हाउस हुआ करता था। तब इस क्षेत्र में पहला सेटेलाइट टेलीफोन लगाया गया था, लेकिन आजादी के बाद इस क्षेत्र को संचार सेवा से जोड़ने की कोई कोशिश नहीं हुई। गांव में नेटवर्क ना होने की वजह से ईराणी गांव के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए काफी ऊंचाई पर स्थित संकटाधार क्षेत्र में जा रहे थे। अब यहां बिरही में जियो मोबाइल कंपनी का टॉवर लग गया है। जिससे पाणा, ईराणी, झींझी, पगना, दुर्मी, धारकुमाला, ब्यारा, सैंजी, गौंणा और निजमुला आदि गांवों में मोबाइल फोन घनघनाने लगे हैं।

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