देहरादून: उत्तराखंड के लिए गौरवान्वित करने वाली खबर है। मशहूर निशानेबाज और जूनियर भारतीय पिस्टल टीम के मुख्य कोच जसपाल राणा को इस साल का द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जाएगा। राणा को बीते वर्ष अवॉर्ड नहीं मिलने पर काफी विवाद हुआ था और मामला अदालत तक पहुंचा था। पिछले साल अनदेखी के बाद हुए विवाद के बाद आखिरकार खेल मंत्रालय द्वारा गठित चयन समिति ने जसपाल राणा के नाम की अनुशंसा इस साल के द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए की है। जूनियर भारतीय पिस्टल टीम के मुख्य कोच जसपाल राणा देहरादून के रहने वाले हैं। जसपाल राणा ने वर्ष 1995 के कॉमनवेल्थ गेम्स की शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था। उस वक्त देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले जसपाल राणा गोल्डन ब्वॉय के रूप में घर-घर में पहचाने जाने लगे थे। आगे पढ़िए
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जसपाल राणा को शूटिंग का हुनर विरासत में मिला है। उनके पिता नारायण सिंह राणा भी अपने समय के जाने-माने निशानेबाज रहे हैं। बिटिया देवांशी राणा भी राष्ट्रीय स्तर पर निशानेबाजी में कई पदक जीत चुकी है। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता जसपाल राणा ने मनु भाकर, सौरभ चौधरी और अनीश भानवाला जैसे विश्वस्तरीय निशानेबाज तैयार किए हैं। जसपाल राणा मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। उनका जन्म 28 जून 1976 को उनके मूल गांव चिलामू, टिहरी गढ़वाल में हुआ। देश को निशानेबाजी मे स्थापित करने का श्रेय जसपाल राणा को ही जाता है। ये कह सकते हैं कि देश को जसपाल राणा ने कई बार गर्व के क्षण दिए हैं। आगे भी जानिए उनकी बड़ी उपलब्धियां
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जसपाल राणा की उपलब्धियों की बात करें तो शब्द कम पड़ जाएंगे। उन्होंने वर्ष 1995 में इटली के मिलान शहर में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की शूटिंग स्पर्धा में आठ गोल्ड जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया था। उस समय भारत के किसी भी निशानेबाज का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। साल 1994 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यश भारती पुरस्कार, राजधानी रत्न पुरस्कार, इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार समेत कई सम्मानों से नवाजा गया। वो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर कई अवॉर्ड जीत चुके हैं। जसपाल राणा इन दिनों देहरादून में युवा निशानेबाजों को तैयार कर रहे हैं। देहरादून के पौंधा क्षेत्र में उनकी जसपाल राणा शूटिंग एकेडमी है। जहां वो अपने पिता नारायण सिंह राणा के साथ मिलकर भविष्य के चैंपियन तैयार कर रहे हैं।