उत्तराखंड देहरादूनRoadways workers did not get salary in Uttarakhand

उत्तराखंड- रोडवेजकर्मियों को 3 महीने से नहीं मिली सैलरी, घर चलाना हुआ मुश्किल

परिवहन निगम के अफसर और कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिली। तनख्वाह ना मिलने की वजह से चालक-परिचालक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Uttarakhand Roadways: Roadways workers did not get salary in Uttarakhand
Image: Roadways workers did not get salary in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना काल ने सबकी मुश्किलें बढ़ाई हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम भी घाटे से जूझ रहा है। अनलॉक की शुरुआत के साथ ही रोडवेज की बसें अलग-अलग रूटों पर दौड़ने लगी हैं, लेकिन रोडवेज के अफसर और कर्मचारी तनख्वाह के लिए तरस गए हैं। परिवहन निगम के अफसर और कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिली। कर्मचारियों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है, लेकिन परिवहन निगम के सामने अपनी दिक्कतें हैं। प्रदेशभर में तैनात अफसर और कर्मचारियों को तीन महीने की सैलरी देने के लिए निगम को करीब 66 करोड़ रुपये की जरूरत है। उत्तराखंड परिवहन निगम शुरू से घाटे में चल रहा है। लॉकडाउन के बाद के हालात तो आपको पता ही हैं। मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद रोडवेज बसों के पहिए थम गए थे। बसों का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया था

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अनलॉक की शुरुआत होने पर सरकार ने राज्य के भीतर बसों के संचालन की अनुमति दे दी, लेकिन इससे रोडवेज को कोई फायदा नहीं हुआ। फायदे की बजाय उल्टा नुकसान ही हो रहा है। उत्तराखंड में इस वक्त 50 फीसदी यात्रियों के साथ परिवहन सेवाएं जारी हैं। बसों में यात्रियों की संख्या आधी कर दी गई और किराया दोगुना किया गया है, लेकिन कई रूटों पर सवारियां ही नहीं मिल रहीं। सवारियों की किल्लत की वजह से ज्यादातर मार्गों पर रोडवेज के लिए डीजल के पैसे वसूलना भी मुश्किल हो गया है। परिवहन निगम घाटे में चल रहा है, जाहिर सी बात है इसका असर कर्मचारियों पर भी पड़ेगा। रोडवेज के अफसर-कर्मचारियों को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है। वहीं आर्थिक संकट से गुजर रहे रोडवेज के लिए अफसर-कर्मचारियों की तनख्वाह देना आफत बन गया है।

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प्रदेशभर में तैनात अफसर और कर्मचारियों को 3 महीने की सैलरी देने के लिए निगम को करीब 66 करोड़ रुपये चाहिए। कर्मचारियों के लिए हर महीने करीब 22 करोड़ रुपये का बजट चाहिए। प्रदेश में नैनीताल, देहरादून और टनकपुर तीन रीजन हैं। यहां के कर्मचारियों को मई, जून और जुलाई की सैलरी अब तक नहीं बंट सकी। सबसे ज्यादा कर्मचारी नैनीताल रीजन से हैं, यहां 2400 कर्मचारी तनख्वाह मिलने का इंतजार कर रहे हैं। तनख्वाह ना मिलने की वजह से चालक-परिचालक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बजट प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेज दिया गया है। मंजूरी मिलने पर डिपोवार बजट का आवंटन किया जाएगा। फिलहाल देखना ये है कि रोडवेजकर्मियों को कब तक राहत मिल पाती है।