उत्तराखंड देहरादूनDM caught land fraud in Dehradun

देहरादून में जमीन खरीदने वाले अलर्ट रहें, ऐसी धोखाधड़ी कहीं आपके साथ न हो

हाईकोर्ट ने खतौनी में पूर्व खातेदार रघुप्रताप की जगह आईटीबीपी का नाम बहाल करने का आदेश दिया था, लेकिन तहसील सदर के नुमाइंदों की कारस्तानी देखिए।

Dehradun Plot: DM caught land fraud in Dehradun
Image: DM caught land fraud in Dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: राजधानी में जमीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा सतर्क रहें। यहां दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर जमीन बेचने का धंधा जोर-शोर से चल रहा है। ऐसा ना हो कि आपकी जिंदगीभर की जमापूंजी गलत जगह डूब जाए। जमीन कब्जाने के जिन मामलों में रसूखदारों का दखल नहीं होता, वहां प्रशासन और पुलिस तुरंत कार्रवाई करते हैं, लेकिन कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें कार्रवाई के नाम पर सालों-साल सिर्फ जांच ही चलती रहती है। जांच की इसी अवधि में भूमाफिया प्लॉट काट कर ‘खेल’ कर जाते हैं। जमीन के फर्जीवाड़े का ऐसा ही एक मामला डीएम डॉ. आशीष श्रीवास्तव के संज्ञान में आया है। मामला क्यारकुली भट्टा क्षेत्र का है। यहां आईटीबीपी की 795 बीघा जमीन है। इस जमीन को लेकर हाईकोर्ट ने खतौनी में खातेदार रघुप्रताप की जगह आईटीबीपी का नाम बहाल करने का आदेश दिया था, लेकिन तहसील सदर के नुमाइंदों की कारस्तानी तो देखिए। इन्होंने 2 साल तक खतौनी में हाईकोर्ट का आदेश चढ़ाया ही नहीं। भूमाफिया पर बंदोबस्त कार्यालय के कार्मिकों की मेहरबानी बनी रही और खतौनी में पूर्व खातेदार रघुप्रताप का नाम ही चढ़ा रहा। इस बीच जमीन की खरीद-फरोख्त भी चलती रही। 3 साल बाद फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद डीएम डॉ. आशीष श्रीवास्तव के निर्देश पर हाईकोर्ट के आदेश को खतौनी में दर्ज कर लिया गया। चलिए आपको पूरा मामला भी बताते हैं। क्यारकुली भट्टा में आईटीबीपी के नाम 795 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन जमीन के अधिग्रहण के बावजूद खतौनी में पूर्व खातेदार का नाम चला आ रहा था

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खतौनी की गलती की आड़ में भूमाफिया ने जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी थी। साल 2016 में तत्कालीन जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ कर खतौनी पर आईटीबीपी का नाम दर्ज कर दिया था। उस वक्त इस मामले में कई लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था। इसी बीच हाईकोर्ट ने डीएम के आदेश को स्टे कर दिया। तब बंदोबस्त कर्मचारियों ने स्टे के आदेश पर झटपट अमल किया और खतौनी में दोबारा रघुप्रताप का नाम बहाल कर दिया। इसी से साथ जमीन की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो गई। साल 2017 में कोर्ट ने स्टे वापस ले लिया, लेकिन कर्मचारियों ने मिलीभगत कर मामले को दबा दिया। खतौनी में पूर्व खातेदार का नाम चलता रहा। कुछ दिन पहले ये मामला डीएम के संज्ञान में आया। जिसके बाद उन्होंने तहसीलदार सदर से इस पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा था। अब जमीन फिर से आईटीबीपी के नाम दर्ज हो गई है, लेकिन ये सवाल अब भी बरकरार है कि जिन जमीनों की बिक्री हो चुकी है। उनकी रजिस्ट्री और दाखिल खारिज कैसे निरस्त किए जाएंगे। वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला संज्ञान में आया है। इस मामले की जांच कराकर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।