नैनीताल: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में बाघ की बढ़ती चहलकदमी से ग्रामीण दहशत में हैं। बाघ आबादी वाले इलाकों में घुसकर लोगों पर हमला कर रहे हैं। पार्क में गश्त करने वाले वनकर्मियों को भी अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है क्योंकि बाघ और हाथी के हमले में अब तक कई वनकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। बुधवार को भी ऐसा ही हुआ। यहां रामनगर के बिजरानी जंगल में साथियों संग गश्त कर रहे एसटीपीएफ के कर्मचारी पर बाघ ने हमला कर दिया। वनकर्मी की किस्मत अच्छी थी, क्योंकि वो अकेला नहीं था। विभाग के दूसरे कर्मचारी भी उसके साथ थे। जैसे ही बाघ ने वनकर्मी पर हमला किया, दूसरे वनकर्मियों ने हवाई फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद बाघ वनकर्मी को छोड़कर जंगल में भाग गया। बाघ के हमले में वनकर्मी की जान तो बच गई, लेकिन वो बुरी तरह घायल है। घायल वनकर्मी को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं। बुधवार को फुटताल बीट में फॉरेस्टर नवीन चंद्र पपनै विभाग के दूसरे वनकर्मियों गोपाल अधिकारी, भुवन चंद्र पांडेय, हिम्मत सिंह, सतेंद्र सिंह और रमेश सिंह के साथ गश्त पर थे। आगे पढ़िए
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सभी वनकर्मी एक साथ आगे-पीछे चल रहे थे। इसी बीच झाड़ी से एक बाघ निकलकर आया और बीच में चल रहे गोपाल अधिकारी पर हमला कर उसे नीचे गिरा दिया, लेकिन गोपाल के साथी वनकर्मी फॉरेस्टर नवीन पपनै की हिम्मत की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने गोपाल की जान बचाने के लिए बिना समय गंवाए तुरंत हवाई फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग की आवाज सुन बाघ गोपाल को छोड़कर चला गया। बाघ जैसी मुसीबत को सामने देख अच्छे-अच्छों का साहस जवाब दे जाता है, लेकिन नवीन पपनै डरे नहीं। साथी वनकर्मी की जान बचाने के लिए उन्होंने गजब की हिम्मत दिखाई। इस तरह उनकी सूझबूझ से गोपाल अधिकारी की जान बच गई। घटना के बाद बाघ के दोबारा हमले की आशंका के चलते सभी वनकर्मी फायरिंग करते हुए जंगल में भागते रहे। सुरक्षित जगह पर पहुंचने के बाद घायल वनकर्मी को जंगल की पहाड़ी से नीचे उतारकर विभागीय वाहन से अस्पताल ले जाया गया। वनकर्मी के सिर, कंधे और गर्दन में बाघ के दांत और नाखून के निशान हैं। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।