देहरादून: दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं, कुछ अपने दुखों का रोना रोकर ताउम्र जिंदगी को कोसते रहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सभी परेशानियों को दरकिनार कर हंसते-हंसते आखरी सांस तक लड़ते हैं। ऐसे ही एक साहसी पिता की ये छोटी सी कहानी राज्य समीक्षा आज आपके सामने ला रहा है।
Kukreti Ji serves delicious momos while battling brain tumour
देहरादून की रिंग रोड पर एक छोटी सी मोमो की ठेली है, जिस पर कुकरेती मोमो लिखा है। इस ठेली पर एक बुजुर्ग पिता अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए स्वादिष्ट मोमो बनाते और खिलाते हैं। ख़ास बात ये है कि ये पिता ब्रेन ट्यूमर जैसी भयानक बीमारी से लड़ते हुए मोमो बेच कर परिवार का गुजर-बसर कर रहा है। ये शख्स अपनी बीमारी का रोना नहीं रोता, बल्कि कुकरेती जी मुस्कुराते हुए हर आगंतुक से प्यार से बात करते हैं। उन्हें अपने हाथ से बने हुए मोमोज सर्व करते हैं, और उनके प्यार में भीगे मोमो का स्वाद ऐसा कि आप उंगलियां चाटते रह जाएंगे। छोटी-छोटी बातों पर जिंदगी से हार जाने वाले लोगों के लिए ब्रेन ट्यूमर से लड़ते कुकरेती जी एक मिसाल हैं। आप अगर कभी देहरादून आयें और आपका रिंग रोड से आना जाना हो, तो एक बार कुकरेती जी के मोमो खाकर जरूर देखिएगा।
राज्य समीक्षा की आप सब से अपील
आजकल सोशल मीडिया पर कुछ भी वायरल हो रहा है। ज्यादातर चीजें ऐसी हैं जिनका कोई मतलब नहीं है। ऐसे में, राज्य समीक्षा की फूड-ब्लॉगर और सोशल मीडिया इन्फ़्लुएन्सरस से भी अपील है कि देहरादून की रिंग रोड पर 6 नंबर पुलिया के पास "कुकरेती मोमो" पर आने का न्योता स्वीकार करें, एक बहादुर और साहसी पिता की सहायता के लिए हाथ बढ़ाएं, एक प्लेट स्वादिष्ट मोमो खाकर आयें और अपना एक ब्लॉग इंसानियत के नाम जरूर बनायें। राज्य समीक्षा @UttarakhandGo का भी धन्यवाद करता है, जिन्होंने ये कहानी हम तक पहुंचाई।