उत्तराखंड देहरादूनJob to the daughter of Mayor Sunil Uniyal Gama

उत्तराखंड: मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी को मिली नौकरी..मचा बवाल

लोग कह रहे हैं कि कोरोना काल में सबकी नौकरियां जा रही हैं। नई नियुक्तियां हो नहीं रहीं। बेरोजगार घर पर बैठे हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में मेयर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बेटी को नौकरी दिलवा दी। आगे जानिए पूरा मामला

Dehradun Mayor Sunil Uniyal Gama: Job to the daughter of Mayor Sunil Uniyal Gama
Image: Job to the daughter of Mayor Sunil Uniyal Gama (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। सत्तारूढ़ बीजेपी हर मोर्चे पर नई चुनौतियों का सामना कर रही है। बीजेपी के कुछ विधायक अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कोरोना से लड़ रहे हैं। एक विवाद खत्म होता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता है। ताजा मामला देहरादून नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल गामा और उनकी बेटी से जुड़ा है। मेयर की बेटी को भारतीय चिकित्सा परिषद में नौकरी मिली है, जिस पर जमकर बवाल हो रहा है। लोग कह रहे हैं कि कोरोना काल में लोगों की नौकरियां जा रही हैं। नई नियुक्तियां हो नहीं रहीं। बेरोजगार घर पर बैठे हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में देहरादून के मेयर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बेटी को भारतीय चिकित्सा परिषद में लेखाकार के पद पर नियुक्ति दिला दी।

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मेयर की बेटी श्रेया उनियाल को भारतीय चिकित्सा परिषद में नौकरी दिए जाने की खबर से विवाद गहराने लगा है। सोशल मीडिया पर श्रेया की नियुक्ति से जुड़ा एक लेटर वायरल हुआ है, जिसने बेरोजगार युवाओं के दर्द को और बढ़ा दिया है। कोरोना काल में मेयर की बेटी को नौकरी मिलने के चलते अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं। इस लेटर पर जिला युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद को भेजे गए इस पत्र में 4 लोगों को नियुक्ति देने के लिए कहा गया है। जिसमें दो पद सुरक्षाकर्मी के हैं, एक पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का है, जबकि एक पद लेखाकार का है। लिस्ट में लेखाकार के पद पर श्रेया उनियाल को नियुक्ति देने की बात लिखी है, जो कि मेयर सुनील उनियाल गामा की बेटी है।

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तैनाती का पत्र वायरल होने के बाद जमकर बवाल हो रहा है। लोगों ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारों की भीड़ में सिर्फ मेयर की बेटी को ही क्यों इस पद पर तैनाती दी जा रही है। विवाद बढ़ने के बाद युवा कल्याण के उपाध्यक्ष जितेंद्र रावत ने इसे लेकर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि संबंधित पद अस्थायी होते हैं। विभाग अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी आवेदनकर्ता को नौकरी से हटा सकते हैं। लेखाकार पद के लिए जो योग्यता चाहिए थी, वो महज एक आवेदनकर्ता द्वारा पूरी हो रही थी। जिस वजह से लेखाकार के पद पर उसी नाम को भारतीय चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार को भेजा गया है। कुल मिलाकर बात ये है कि अब बवाल मच रहा है। इन बातों का जवाब मेयर साहब के पास क्या होगा, ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।