उत्तराखंड टिहरी गढ़वालPraveen Bisht Vikas Bisht LED Bulb

गढ़वाल: लॉकडाउन में घर लौटे दो युवा, यू-ट्यूब से सीखा LED बल्ब बनाना..मिलने लगा मुनाफा

कोरोना काल में प्रवीण और विकास की नौकरी चली गई। मुश्किल के इस वक्त में कोई और होता तो बुरी तरह टूट जाता, लेकिन प्रवीण और विकास ने इन्हीं मुश्किलों से सफलता की राह खोज निकाली। आगे पढ़िए पूरी खबर

Praveen Bisht LED. Vikas Bisht LED: Praveen Bisht Vikas Bisht LED Bulb
Image: Praveen Bisht Vikas Bisht LED Bulb (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: कोरोना काल ने हजारों लोगों की नौकरियां छीन लीं। जिन लोगों का रोजगार चला गया वो वापस पहाड़ लौट आए। इनमें से कुछ लोग संकट के खत्म होने का इंतजार करने लगे, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस वक्त को चुनौती की तरह स्वीकार किया और अपना भविष्य संवारने की कोशिश में जुट गए। टिहरी के चंबा ब्लॉक में रहने वाले प्रवीण बिष्ट और विकास बिष्ट ऐसे ही युवाओं में शामिल हैं। ये दोनों युवा हमारे दूसरे पहाड़ी भाईयों की तरह शहर के होटलों में जॉब करते थे। आज ये दोनों एलईडी बल्ब बनाकर हर महीने हजारों रुपये कमा रहे हैं। चंबा ब्लॉक में एक गांव है मानदा मखलोगी। प्रवीण बिष्ट और विकास बिष्ट इसी गांव में रहते हैं। ये दोनों प्रवासी युवक एक होटल में काम करते थे। मार्च में जब लॉकडाउन लगा तो इनका रोजगार छिन गया। तब ये दोनों गांव लौट आए। मुश्किल के इस वक्त में कोई और होता तो बुरी तरह टूट जाता, लेकिन प्रवीण और विकास ने इन्हीं मुश्किलों से सफलता की राह तलाशने की ठानी। और इस तलाश का जरिया बना यूट्यूब। आगे पढ़िए

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प्रवीण और विकास ने लॉकडाउन के दौरान यूट्यूब पर वीडियो देखकर एलईडी बल्ब बनाना सीखा। बाद में उन्होंने गांव में खुद बल्ब का निर्माण करना शुरू कर दिया। दोनों ने खूब मेहनत की और इस मेहनत का मीठा फल भी उन्हें मिला। प्रवीण और विकास गांव में एलईडी बल्ब का निर्माण कर स्वरोजगार से जुड़ गए हैं। इससे उनको अच्छी आमदनी भी हासिल हो रही है। दोनों अब तक 10 हजार से ज्यादा एलईडी बल्ब बेच चुके हैं। प्रवीण ने बताया कि इस काम से उनको अच्छी आमदनी हो रही है। दूसरे प्रवासी भाईयों को भी शहरों में धक्के खाने की बजाय अपने क्षेत्र में रहकर कुछ बेहतर करना चाहिए। प्रवीण कहते हैं कि अगर सरकार मदद करे तो वो बल्ब निर्माण का काम बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं, ताकि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार दे सकें। पहाड़ के इन दोनों युवाओं ने कोरोना आपदा को अवसर में बदल डाला। प्रवीण और विकास की कोशिश उत्तराखंड के बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाती है। अगर आपके पास भी स्वरोजगार से जुड़ी ऐसी ही कोई कहानी हो तो राज्य समीक्षा के साथ जरूर शेयर करें, हम इन कहानियों को मंच देकर दूसरे लोगों तक पहुंचाएंगे।