उत्तराखंड देहरादूनDivya of Tyuni village of Chakrata

उत्तराखंड: बुआ से बिछड़ कर पूरी रात घने जंगल में रही 9 साल की दिव्या, सूझबूझ से पहुंची घर

बच्ची रास्ता भटक कर जंगल में पहुंच गई थी। वो पूरी रात जंगल में रही। इस दौरान उसे डर भी लगा, लेकिन उसने किसी तरह हिम्मत बनाए रखी। आगे पढ़िए पूरी खबर

Dehradun News: Divya of Tyuni village of Chakrata
Image: Divya of Tyuni village of Chakrata (Source: Social Media)

देहरादून: पहाड़ के शेरदिल बच्चे अपनी हिम्मत और जुझारूपन के लिए जाने जाते हैं। यही हिम्मत इन बच्चों को स्कूल के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करने का साहस देती है। हर खतरे पर जीत हासिल करने का हौसला देती है। साहस और निडरता की ऐसी ही शानदार मिसाल है, देहरादून के चकराता की रहने वाली 9 साल की दिव्या। बुआ के साथ बाजार गई ये बच्ची रास्ता भटक कर जंगल में पहुंच गई थी। बच्ची पूरी रात जंगल में रही और सुबह होने का इंतजार किया। उजाला होने पर दिव्या ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल कर पास के गांव का रास्ता तलाशा और वहां पहुंच गई। बाद में ग्रामीणों की सूचना पर राजस्व पुलिस और परिजन उसे घर ले आए। जनजातीय क्षेत्र चकराता में एक जगह है त्यूणी। यहीं के शिलगांव में पंकज शर्मा अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनकी 9 साल की बेटी दिव्या कक्षा 4 में पढ़ती है। पंकज गांव में खेती करते हैं। रविवार को दिव्या अपनी बुआ के साथ पास के कथियान बाजार गई थी। इस छोटे से बाजार के पास घना जंगल है। बुआ को खरीददारी करते देख दिव्या बाजार में घूमने निकल गई। बाद में बुआ ने भतीजी को तलाशा तो वो कहीं नहीं दिखी। सूचना मिलने पर परिजन और ग्रामीण भी मौके पर पहुंच कर दिव्या को ढूंढने लगे। राजस्व पुलिस को भी सूचना दी गई। आगे पढ़िए

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राजस्व पुलिस भी सर्च ऑपरेशन में जुट गई, लेकिन देर रात तक बच्ची का कुछ पता नहीं चल सका। सोमवार सुबह पुरटाड़ गांव से खबर आई कि वहां गोशाला के पास एक बच्ची मिली है। ये दिव्या ही थी। दिव्या को सकुशल देख सभी ने राहत की सांस ली। दिव्या ने बताया कि वो भटक कर जंगल में पहुंच गई थी। इस बीच अंधेरा हो गया। उसे जंगल में बहुत डर लगा, लेकिन वो साहस कर के एक पेड़ के नीचे बैठ गई। दिव्या ने पूरी रात पेड़ के नीचे बिताई। सुबह होने पर उसने जंगल के पास कहीं से धुआं उठते देखा। वो धुएं की दिशा में आगे बढ़ गई और इस तरह पुरटाड़ गांव पहुंच गई। जहां राजस्व विभाग की टीम और परिजन उसे लेने पहुंचे। दिव्या ने साबित कर दिया कि साहस और दिलेरी किसी उम्र के मोहताज नहीं होते। मन में हिम्मत हो तो हर डर पर जीत हासिल की जा सकती है। आज क्षेत्र में हर कोई दिव्या के साहस की तारीफ कर रहा है।