उत्तराखंड नैनीतालNainital Happy Birthday

आज है नैनीताल का हैप्पी बर्थ-डे..जानिए इस खूबसूरत शहर की 179 साल पुरानी कहानी

नैनीताल हिल स्टेशन की नींव 1841 में रखी गई थी, जब अंग्रेजों ने यहां यूरोपियन हाउस का निर्माण किया था।

Nainital News: Nainital Happy Birthday
Image: Nainital Happy Birthday (Source: Social Media)

नैनीताल: हैप्पी बर्थ-डे नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल की स्थापना को आज 179 साल पूरे हो गए। देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती और मनोहर तालों के लिए मशहूर नैनीताल की खोज साल 1841 में आज ही के दिन की गई थी। इस जगह को खोजने का श्रेय अंग्रेज व्यापारी पी. बैरन को जाता है। कहते हैं 18 नवंबर साल 1841 में अंग्रेज व्यापारी बैरन शेर का डांडा की पहाड़ी को पार कर नैनीताल पहुंचे थे। यहां के मनोहर दृश्यों ने उनका दिल जीत लिया। उन्होंने नैनीताल की खूबसूरती के बारे में दूसरे लोगों को बताया। उसके बाद धीरे-धीरे लोग नैनीताल को जानने लगे। ये जगह अपनी खूबसूरती के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध हो गई। नैनीताल की खोज के पीछे कई कहानियां मशहूर हैं। कहते हैं अंग्रेज व्यापारी बैरन को पहाड़ में घूमने का बहुत शौक था। एक बार वो बदरीनाथ यात्रा पर गए। वहां से जब वो कुमाऊं की तरफ बढ़े तो रास्ते में उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से शेर का डांडा के बारे में पूछा। उस व्यक्ति ने बैरन को शेर का डांडा की पहाड़ी के पीछे स्थित एक खूबसूरत झील के बारे में बताया। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - ब्रेकिंग: उत्तराखंड में 3 IAS अफसरों समेत 5 अधिकारियों के तबादले..IAS वंदना को नया जिम्मा
झील का वर्णन सुन बैरन से रहा ना गया। वो लोगों से रास्ता पूछते-पूछते किसी तरह पहाड़ी को पार कर झील तक पहुंचे। यहां से लौटने के बाद उन्होंने अपनी यात्रा की कहानियां अखबारों में छपवाईं। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के मुताबिक नवंबर 1841 में कोलकाता के ‘इंग्लिश मैन’ नामक अखबार में सबसे पहले नैनीताल के ताल की खोज संबंधी खबर छपी। बाद में आगरा के अखबार में भी इस बारे में पूरी जानकारी दी गई। इस तरह लोग नैनीताल को जानने लगे। आज नैनीताल जिले की पहचान उत्तराखंड के वीवीआईपी जिले के तौर पर है। राजनीतिक-सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण के लिहाज से भी इसकी एक अलग पहचान है। बुधवार को नैनीताल की 179वीं वर्षगांठ के अवसर पर जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान बच्चों के लिए टॉक शो के साथ ही सर्वधर्म प्रार्थना सभा और गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।